________________ लघुविद्यानुवाद 77 मन्त्र :-ऐ क्लीं ह्रसौ कुडलिनी नमः। विधि -इस मन्त्र का त्रिकाल 108 बार जपने से कुभाग्य भी सौभाग्य हो जाता है। मन्त्र :-पनरस सयता वसारणं दिखु दितस्स गोयम मुनिस्स उवगररणं वहु देइ धरणऊ धन्नारण भन्वारणं ॐ नमो सिद्ध चामुंडे अजिते अपराजिते किल कलेश्वरी हूं फट् स्वाहा या फुफट् स्वाहा / इत्यस्य स्थाने स्फुट विकट करी ठ ठः स्वाहा ऐसा भी होता है। विधि .-इस मन्त्र का स्मरण करने से मार्ग का श्रम दूर होता है / मन्त्र :--ॐ नमो भगवते क्रोध रुद्राय हन 2 दह 2 पच 2 हूंहः स्वत्र केरण अमुकस्य गृहं नाशय स्वाहा। विधि -इस मन्त्र से डोरा को 21 बार मन्त्रित करके 5 गाठ लगावे फिर उस डोरे को हाथ मे बाधे तो सर्व उपद्रव नाश हो जाते है / मन्त्र :-ॐ प्रां कों प्रों ह्रीं सर्व पुरजनं राजानं क्षोभय-क्षोभय पानय-पानय ममपादयो पातय पातय प्राकर्षिणी स्वाहा ॐ नमो सिद्ध चामुडे अजिते अपराजिते किली 2 रक्ष 2 ठ: 3 स्वाहा ॐ नमो पार्श्वनाथाय ॐ णमो अरहंतारणं ॐ णमो सिद्धारणं ॐ रणमो पायरियारणं ॐ णमो उवज्झायारणं ॐ रणमो लोए सव्वासाहूरणं ॐ नमो गाणाय ॐ नमो दंसणाय ॐ नमो चरिताय ॐ ह्रीं त्रैलोक्यवंशकरी ॐ ह्रीं स्वाहा जइतः। मन्त्र :-ॐ व्रजसेणाय महाविद्याय देव लोकाउ आगयाय इमंघति उं इंद जालु दिशि. वंधं विदिशि बंधं प्रायासंबंधं पायाल बंधं सर्व दिशाउ बंधं पंथे दुप्पय वंधं, पंथे बंधं चउप्पयं घोरं पासीविस बंधं, जाव गंथी न छुटइ ताव ह्री स्वाहा / विधि -बार 7 जपित्वा विपरीत न थी वध्वा वामदिशि कुर्यात ताचल धुनित्पादौ वर्जयेत् / मन्त्र :- ॐ नमो भगवऊ वर्द्ध माणस्स जस्सेयं चक्कं जलंतं गच्छइ संयलं महिमंडलं पयासंत्त लोयारणं भूयारणं भूवणारणं जूए वाररणे वारायं गणे वा जंभरणे थंभरणे मोहणे सव्वसत्तारणं अपराजिऊ भवामि स्वाहा। ॐ नमो प्रोहिजिरगाणं नमो परमोहिजिरणारण नमो खेलोसहि जिरगाणं णमो अरहताणं गमो सिद्धारणं ॐ ह्रीं श्री धरणेन्द्राय श्री पद्मावति सहिताय ॐ मारक्ष 2 महावल स्वाहा / ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय शिरोमरिण विद्रावकाय स्वाहा / विधि .-पुरषस्य दक्षिणेन स्त्रियावामेन वाहनीया शिरोत्ति मन्त्र /