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________________ 76 लघुविद्यानुवाद विधि .-ऐषा विद्या वैर, व्याघ्र, दष्ट्राणा वध करोति ककरिका सप्ताभिमत्रता कृत्वा दिक्ष विदीक्षु क्षिपेत् / इस मत्र से ककरियो को 7 वार या 21 वार मन्त्रित करके दिशा विदिशाओ मे फेकने से वैर, व्याघ्र, दात वाले जीवो को बद कर देता है। याने इनका उपद्रव नही होता है। मन्त्र :-ॐ ह्रीं प्रत्यंगिरे ममस्वस्ति शांति कुरु कुरु स्वाहा। विधि :-यह मन्त्र सिर्फ स्मरण करने से सर्व प्रकार की शाति होती है। मन्त्र :-ॐ ह्री अंबिके उर्जयंत निवासिनी सर्व कल्याण कारिणी ही नमः / विधि .- इस मन्त्र को स्मरण करने से सर्व प्रकार का कल्याण क्षेम होता है / मन्त्र :-ॐ ह्री कपिले लंगेपुरो वः महामेद्य प्रवर्षणस्य अनेक प्रदीपनकं विज्ञाट्रापय 2 स्वाहा। विधि -जाति पुष्पे 108 मूल साधन एकविशति कृत्वोऽभिमत्रनेन अविलेन धारादीयते प्रदीपन कैन कामति / मन्त्र :-इंदते प्रज्वलितं वज्र सर्व ज्वर विनाशनं अनेन अमुस्य ज्वरं वज्रण चूर्णयामि यदि अद्यापिन कुर्वतो। विधि -इस मन्त्र मे जल को 21 बार मत्रित करके पिलाने से ज्वर का नाश होता है। मन्त्र :-धुणसि चचुलीलवंकुली पर विद्या फट् स्वाहा हूँ फट् स्वाहा / विधि :-इस मन्त्र का स्मरण करने से पर विद्या का स्तम्भन होता है / मन्त्र :-ॐ अप्रति चक्र फट विचक्राय स्वाहा / विधि :-इस मन्त्र का स्मरण करने से सर्व कार्य सिद्ध होता है। मन्त्र :-ॐ हँस शिव हँसः हं हं हं सः पारिरेहंस प्र (त्थि) जांगुली नामेण मंतु असुरणं तहं पटि जइ सुरणइ तो कोडउ मरइ अहन सुणइ तो सत्त वासाइ नि(द्वि) विसो होइ ॐ जांगुलि के स्वाहाः। विधि - इस मन्त्र से बालु 21 बार मन्त्रित करके साप की बामी अथवा साप के विल पर डाल देवे तो साप बिल छोड कर भाग जायेगा। मन्त्र :-ऐ क्लीं ह्रसौः रक्त पद्माति नमः सर्वमम वशी कुरु कुरु स्वाहा ॐ अलू मलू ललू नगर लोकूराजा सर्व मम वशी कुरु कुरु स्वाहा / विधि - इस मन्त्र से लाल कनेर के पूष्प 21 बार मन्त्रित करके नगर के प्रवेश के समय अथवा राज के सम्मुख अथवा प्रजा के सम्मुख डाले तो राजा प्रजा नगरवासी सब वश में होते है।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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