________________ लघुविद्यानुवाद 75 विधि -अनेन मत्रेण चक्षु कर्णोचाधिवास्य आत्मविपये परविषये च एकात स्थीतो यत् श्रुणेति तत्सत्य भवति / मन्त्र :-ॐ ह्रां ह्रीं ह्रग्लां जिनचंद्राचार्य नाम गृहरणेण अष्टोत्तर शतव्याधीः क्षयं __ यां तु स्वाहा / (रोग क्षय मन्त्रः अत्थरण कंडकं क्रियते / ) विधि -इस मन्त्र से पानी से मन्त्रित करके देने से 108 व्याधी नाश को प्राप्त होती है, पानी 108 बार मन्त्रित करना चाहिये / जब तक रोग न जाय तब तक मन्त्रित पानी देवे। मन्त्र :-ॐ क्षः क्षः। (कर्णरोगोपशमन मन्त्र) विधि -विधि नही है। मन्त्र :-ॐ ह्री ठः। (अग्नि स्तंभन मन्त्र) मन्त्र :-ॐ ह्रीं नमः श्रीं नमः ह्रीं नमः स्वाहा / विधि .-अनेन मन्त्रेण कागुरिण (माल कागणी) म्रक्षीता श्चरणका अभिमत्र्यते ततो गुडेन धूपयति गुडे नैव सवेष्प्य भक्षते विद्या प्रभवति / इस मन्त्र से मालकागुणी और चना मन्त्रित कर उन चना और कागुनी को गुड की धूप लगावे फिर चना और कागुनी को गुड से वेष्टित करके खावे तो बहुत विद्या आती है। मन्त्र :-ॐ नमो भगवते आदित्याय असिमसि लु'तोसि स्वाहा / (अर्कोतारण मन्त्र) विधि :-इस मन्त्र की विधि उपलब्ध नहीं हो सकी है। मन्त्र :-ॐ नमो रत्नत्रयाय मणिभद्राय महायज्ञ सेनाधिपतये ॐ कलि कलि स्वाहा / विधि - अनेन दतकाष्ट सप्त कृत्वोऽभि मत्र्य प्रत्युषे भक्षयेत् अयाचित भोजन लभते / दतवन ( दातुन ) के सात टुकडे करके इस मन्त्र से 21 बार मन्त्रित करके प्रातः खावे याने दातुन करे तो अनमागे भोजन मिलता है। याने भोजन के लिये याचना नही करनी पडतो है। मन्त्र :-निरु मुनि स्वाहा / विधि -इस मन्त्र से झाड़ा देने से दात की वेदना शात होती है / मन्त्र :-निकदुरि स्वाहा / (विश्रु चिका मन्त्र) विधि -इस मन्त्र से राख ( भस्म ) मन्त्रित करके खुजली पर लगाने से खुजली रोग शात होता है। मन्त्र :-ॐ अजिते अपराजिते किलि 2 स्वाहा /