________________ लघुविद्यानुवाद 71 मन्त्र :-ॐ चंद्र परिश्रम परिश्रम स्वाहा / विधि -हस्त प्रमाण शर ग्रहीत्वा रघणि ताडयेत दिन 21 यावत् ततो रघरिणर्नश्यति / हस्त प्रमाण शर (बारण) को लेकर इस मन्त्र से 21 दिन तक रघरिणवायु का ताडन करने से रघरिणवायु नष्ट होती है / मन्त्र -ॐ शुक्ले महाशुक्ले ह्रीं श्रीं क्षीं अवतर अवतर स्वाहा / (सहयं जाप्यः पूर्व 108 गुरणेते स्वप्ने शुभाशुभं कथयति / ) विधि -इस मन्त्र को 1008 बार जाप करके, फिर सोने के समय 108 बार जाप करके सो जावे तो स्वप्न मे शुभाशुभ मालूम होता है। मन्त्र :-ॐ अंगे फुमंगे फुग्नंगे संगे फु स्वाहा / ( बार 21 जलमभिमंत्र्यपिवेत् शुलं नाश्यति / ) विधि :-इस मन्त्र से जल 21 बार मन्त्रित करके उस जल को पी जावे तो शूल रोग नाश होता है। मन्त्र :-ॐ ह्रीं कृष्ण वाससे सुध्स सिंहबाहने सहस्त्र वदने महाबले प्रत्यंगिरे सर्वसैन्य कर्म विध्वंसिनी परमंत्र छेदनी सर्वदेवाणारणी सर्वदेवारणारणी वंधि वाधि निकृतय निकृतय ज्वालाजिह्व कराल चक्रे ॐ ह्रीं प्रत्यंगिरे स्वाहा स्वाहा स्वाहा शेषाणंद देवकेरी आज्ञाफुरई 4 घट फेरण मंत्र / विधि :-इस मन्त्र की विधि नही है / मन्त्र -ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय धरणेन्द्र पद्मावती सहिताय अष्टादशवृश्चिकारणां विषं, हर हर, प्रां कहां स्वाहा / विधि -इस मन्त्र को पढता जाय और बिच्छु काटे हुए स्थान पर झाडा देता जाय तो बिच्छु का जहर उतर जाता है। मन्त्र -ॐ शिवरि फुट् स्वाहाः। विधि :-स्ववाहु प्रमार्जयेत दष्टस्य विष मुत्ररति / मन्त्र :-ॐ खुलु मुलु स्वाहा / विधि --वृश्चिक विद्ध आत्मन प्रर्दक्षणी कारयेत / मन्त्र '-ॐ कंख फुट् स्वाहा / विधि -इस मन्त्र की विधि नही है।