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________________ 70 लघुविद्यानुवाद विधि :- अनेन सारस्वत्त मन्त्रेण पुस्ताकादौ प्रारम्भ क्रियते प्रथम मन्त्र पठित्वा। मन्त्र -ॐ ह्रां ह्रीं ह्र ह्रौ ह्रः, ॐ ह्रीं नमः कृष्णवास से मौशत सहस्त्र कोटी लक्षासह वाहने फ्र सहस्त्र वदने ह्रौ महाबले ह्रौ अपराजिते ह्रीं प्रत्यंगिरे ह्रौ परसैन्य निर्नाशिनि ह्रीं पर कर्म विध्वसिनि ह्रसः परमन्त्रो छेदिनिय सर्वशत्रू च्चाटिनि ह्रसौ सर्व भूतदमनि वः सर्व देवान बंधय बंधय हूँ फट् सर्व विघ्नान छेदय छेदय सर्वानर्थान निकृतय निकृतय क्ष' सर्व प्रदुष्टान् भक्षय भक्षय ह्रींज्वालाजिह्वह्रसौ करालव के ह्रस पर यन्त्रान स्फौट्य स्फोट्य ह्रीं वज्रशृङ्खलां त्रोटय त्रोटय असुर मुद्रा द्रावय द्रावय रोद्रमूर्ते ॐ ह्रीं प्रत्यंगिरे मम मनश्चितित मंत्रार्थं कुरु कुरु स्वाहा / विधि -इस मन्त्र को स्मरण करने मात्र से सर्व कार्य की सिद्धि हो जाती है। मन्त्र :-ॐ विश्वरूपमहातेज नील कंठ विष क्षय महावल त्रिसूलेनगंडमाला छिद छिद भिंद भिंद स्वाहा। विधि -इस मन्त्र से आकड का दूध और तिल का तेल 21 वार या 108 वार मन्त्रित कर गण्ड माल के ऊपर लगावे तो गण्डमाल रोग का नाश होता है। मन्त्र --ॐ ह्रां ह्रीं क्रां क्रीं क्रः श्रीशेषराजाय नमः हूं हः ह वं के केसः सः स्वाहा / विधि -यह धरणेन्द्र मन्त्र है / इस मन्त्र को कोई भी महान आपत्ति के समय दस हजार जाप करे तो अभीष्ट फलदायक होता है / मन्त्र :-ॐ नयो महेश्वराय यक्षेश्वराय सर्व सिद्धाय नमोरे वार्चनाय यक्ष सेनाधिपतये इदं कार्य निवेदय तद्यथा कहि कहि ठ. ठ / विधि -इस मन्त्र को क्षेत्रपाल की पूजा करके क्षेत्रपाल के सामने 108 बार जाप करे, फिर गुग्गल को 21 बार मन्त्रित करके, स्वय को धूप का धूवाँ लगाकर सोवे, तो स्वप्न मे शुभाशुभ मालूम होता है। मन्त्र :-ॐ शुक्ले महाशुक्ले अमुक कार्य विषये ह्रीं श्री क्षी अवतर अवतर मम शुभाशुभं स्वप्ने कथय कथय स्वाहा। विधि -काच कर्पूर युक्त प्रधान श्रीखण्डे नालिख्य सिवनि काप्ट पट्ट के जाती पुष्प 108 जाप्यो देय स्वप्ने शुभाशुभ कथयति /
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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