________________
७०]
९ भैरव पद्मावती कल्प
यत्र संख्या ३३ वश्य यन्त्र द्वितीय
बहस
रा
शल
ज
'
ज
५
.
kkcELD
-१५-
45552
nm
अन्त्यवर्ग तृतीय तुयवकार तत्ववृताह्वयं । हंसवर्णवृतं ततो द्विगुणोकृताष्टदलाम्बुजम् ।। तेपु षोडशसत्कलाशिरसोनशून्यवृत बहि
यिया परिवेष्टितं प्रणवादिकाभिरावृत्तम् ।। ९ ॥
अन्त्यवर्ग (ऊष्मों) के तृतीय (स) चतुर्थ (5) और ह्रीं से घिरे युये नामको 'हस' से घेरकर वाहिर सोलह दल कमल बनाकर उनमें सोलह कलायें लिखे। फिर उसको शिर सहित हकारसे वेष्टित करके माया (ही) से वेष्टित करे और बाहिर 'ऊंक' से लेकर 'ॐ' तक लिखे ।