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नाम ग्लौ खान्तपिण्ड बसुदलसहिताम्भोजपत्रे विलिख्य । वत्पिण्ड तेपु योज्य वहिरपि वलय दिव्यमन्त्रेण कुर्यात् ॥ टान्तं भूमण्डलान्त विपुलतर शिलासम्पुटे कुङ्कुमाद्येश्रीनाथक्रमयुग पुरतो यहि दिव्योपशान्त्यै ॥ ४ ॥ भा० टो०- एक अष्टदल कमलकी कर्णिकामें नामको ग्लौंके बन्दर लिखकर आठों दढोमें ग्ल्यू पिण्डको लिखे । उसके