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है भैरव पद्मावती कल्प।
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बाहिर दिग्य मन्त्र तथा 'ठ' के वलय धनाकर बाहिर पृथिवीमण्डल बनावे । इस यन्त्रको बड़ी भारी शिलाओं के सम्पुट पर केशर आदिसे लिखकर दिव्य अग्निका शांतिके वास्ते श्री भगवान् महावीरस्वामीके चरणयुगढके सामने रक्खे ।
दिव्य मन्त्रका उद्धार
ॐ धंभई अमुक अमुकस्य जल जलणं चिन्तय मन्त्रेण पत्र णमोकारो भरिमारि चोर एव लघोरुवसग्गं बिणासेइ स्वाहा
यन्त्र संख्या १८ जल, तुला, सपै और पक्षिस्तम्भन यन्त्र
Saane
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