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भैरव पद्मावती कल्प
यत्र संख्या १४ स्थम्भनमें लंजिका यन्त्र
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क्षाद्यक्षरपदे यज्यं ल शिलातलसम्पुटे । विलिख्यो: पुरं वाटे स्तम्भने तालकादिभिः ।। २१ ॥ भा० टी०-उपरोक्त यन्त्रमें 'क्ष वषट' के स्थानमें दो शिलाओं के सम्पुट पर 'ल' बीजको लिखकर उसके वाहिर चारों
ओर हरताल आदिसे पृथ्वीमण्डल बनाकर रखे तो स्तम्भन होता है।