________________
• भैरव पपावती कल्प
[३९
यंत्र सं. १५-गृहादि शांतिमें रसिका यंत्र
aaura
गगनलाली बासा
भास्तगाल्यू
मैनानिमा
क्षनित ल्एँ
kka
रा
परमादशति कर्म मे को निकाय है।
स्तम्भने तु मैन्द्र निजबोजमैन्दं श्रीकुङ्कमाघलिखित सुमूर्जे । त्रिलोहवेष्टय विधृतं स्वाबाहो करोति रक्षा ग्रहमारीरुग्भ्यः ।। २२ ।। __ भा० टी०-इन यन्त्रों के बीजोंके स्थान में ऐन्द्रबोज श्रीको स्तम्भन करनेके प्रयोजनमें श्री कुकुम मादिसे उत्तम भोजपत्रपर लिखकर यदि त्रिलोहमें जड़वाकर अपनी दाहिनी मुजामें पहिने तो यह यन्त्र प्रह, मारी और रोगोंसे रक्षा करता है।