SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 41
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भैरव पद्मावती कल्प [२१ देवीके पूजनमें यह मंत्र पढ़े ॐ ह्रीं नमोऽस्तु भगवति पद्मावति गन्धादीन् गृह्ण गृह्ण नमः। विसर्जनमें निम्नलिखित मंत्र कहेॐ ह्रीं नमोऽस्तु भगवति पद्मावति स्वस्थानं गच्छ गच्छ जः जः जः। (विसर्जनम् ) पूरफरेचकयोगादाह्वान विसर्जनं करोतु बुधः। पूजाभिमुखीकरणस्थापनकर्माणि कुम्भकतः ॥ २९ ॥ 'भा० टी०-पडित पुरुष आह्वान पूरकसे, विसर्जन रेचकसे तथा शेष तीनों उपचारोंको कुम्भक प्राणायामसे करे । पद्मावतीको सिद्ध करनेका मूल मंत्र ब्रह्मदि लोकनाथं हैंकारं व्योमषान्तमदनोपेतम् । पद्म च पद्मकटिनि नमोऽन्तगो मूलमन्त्रोऽयम् ॥ ३० ॥ पद्मावतीदेवीका निम्नलिखित मूल मन्त्र है 'ॐ ह्रीं हैं ह क्लीं पद्म पद्मकटिनि नमः ।' सिध्यति पद्मादेवी त्रिलक्षजाप्येन पद्मपुष्पाणाम् । अथवारुणकरवीरकसंवृतपुष्पप्रजाप्येन ॥ ३१ ॥ भा० टी०-देवी पद्मावतो लाल कमल अथवा लाल कनेरके ढके हुये पुष्पोंपर इस मन्त्रके तीन लक्ष जपसे सिद्ध होजाती है। पद्मावतीका षडाक्षरी मन्त्र ब्रह्ममाया च हैंकारं व्योमक्लींकारमूर्द्धगम् । श्रीं च पद्मे नमो मन्त्रं प्राहुर्विद्यां षडक्षरीम् ॥ ३२ ॥ अथवा उस देनीका यह छह अक्षरोंका मन्त्र है "ॐ ह्रीं हैं ह क्लीं श्रीं पद्मे नमः।"
SR No.009990
Book TitleBhairav Padmavati Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMallishenacharya, Chandrashekhar Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages160
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy