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र भैरव पद्मावती कल्प
____भा० टी०-फिर मंत्री "ह हा हि ही हु ह ह ह ह ह्र हे है हो हो हं हः।" इन वीजोंसे स्वर्णमय बड़े ऊंचे वीस हाथ प्रमाण चौकोर प्राकारका चिन्तवन करे !
सर्वस्वरसम्पूर्णः कूटरपि खातिकाकृतिं ध्यायेनिर्मलजलपरिपूर्णामतिभीषणजलचराकीर्णाम् ॥ ७॥ भा० टी०-फिर निम्नलिखित वीजोंसे निर्मल जलसे परिपूर्ण, अत्यन्त भयानक जलचरोसे भरी हुई खाईके आकारका ध्यान करे । वह बीज यह है'क्ष क्षा क्षि क्षी क्षु क्षु क्ष क्ष दल ल क्षे झै क्षो क्षौ क्षं क्षः ।
ज्वलदोङ्काररकारज्वालादग्ध स्वमग्निपुरसंस्थम् । ध्यात्वाऽमृतमन्त्रण स्नान पश्चात् करोत्वमुना । भा० टी०-फिर अग्नि मण्डलमें बैठे हुए अपने आपको जलते हुए ॐ और रकारकी लपटोंसे जला हुआ ध्यान करके निम्नलिखित अमृत मंत्रसे स्नान करे। अग्नि मण्डल
अमृत मन्त्र "aॐ ह्रीं अमृते अमृतोद्भवे अमृतवर्षिणि अमृतं स्रावय२ सं२ क्लीर ब्लर द्रो द्रों द्रावयर सं हं इली क्ष्वी हंसः म सि या उ सा सर्वमिदममृतः
भवतु स्वाहा। रंरंरंर
रंरररररं
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