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( ७.३४३ - ३४३)
देवतासन्निपातवण्णना
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दूरेति दूरे पदेसे । दहरस्स अन्तरायं परिहरन्ती “न सक्का भन्ते सकलं कार्य दस्सेतु "न्ति अवोचाति ।
महासमयसुत्तवण्णनाय लीनत्थप्पकासना ।
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