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जिनप्रतिमा मानने और पूजने की चर्चा
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२१ - इसी सूत्र में वग्गुर श्रावक के श्रीमल्लिनाथ प्रभु के मन्दिर बनवाने का वर्णन है |
२२ - इसी सूत्र में कहा है कि फूलों से जिनप्रतिमा को पूजने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
२३- इसी सूत्र में कहा कि प्रभावती श्राविका (उदयन राजाकी पटरानी) ने अपने राजामहल में जिन मंदिर बनवाकर श्रीमहावीरप्रभु की जीवितस्वामी की मूर्ति स्थापित की थी और उसकी वह प्रतिदिन पूजा करती थी ।
२४ - इसी सूत्र में कहा है कि श्रेणिक राजा प्रतिदिन १०८ सोने के यवों से जिनप्रतिमा का पूजन करता था ।
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२५- इसी सूत्र में कहा है कि साधु कायोत्सर्ग में जिनप्रतिमा पूजन का अनुमोदन करे ।
२६ - इसी सूत्र में कहा है कि सर्व लोक में जो जिनप्रतिमाएं हैं उनकी आराधना के निमित्त साधु तथा श्रावक कायोत्सर्ग करे ।
२७ - श्रीव्यवहारसूत्र के प्रथम उद्देश में जिनप्रतिमा के सामने आलोचना करना कहा है।
२८ - श्रीमहाकल्पसूत्र में कहा है कि श्रीजिनमंदिर में यदि साधु-श्रावक दर्शन करने को न जावे तो प्रायश्चित्त आवे ।
२९ - श्रीमहानिशीथसूत्र में कहा है कि श्रावक यदि जिनमंदिर बनवाये तो उत्कृष्टा बारहवें देवलोक तक जावे ।
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श्रीजीतकल्पसूत्र में कहा है कि यदि श्रीजिनमंदिर में साधु-साध्वी दर्शन करने न जावे तो प्रायश्चित्त आवे ।
Shrenik/D/A-SHILCHANDRASURI / Hindi Book (07-10-2013)/(1st-11-10-2013) (2nd-22-10-2013) p6.5 [63]