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________________ मुखपत्ती चर्चा ३५ २) श्रीभगवती सूत्र के शक्रेन्द्रवाले पाठ को भी समझ लेना चाहिये, जो इस प्रकार है - (प्रश्न) सक्के णं भंते देविंदे देवराया किं सावज्जं भासं भासति अणवज्जं पि भासं भासति ? (उत्तर) गोयमा ! सावज्जं पि भासं भासति अणवज्जं पि । (प्रश्न) से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ - सावज्जं पि जाव अणवज्ज पि भासं भासति ? (उत्तर) गोयमा ! जाहे णं सक्के देविंदे देवराया सुहुमकायं अणिजूहित्ता णं भासं भासति, ताहे णं सक्के देविंदे देवराया सावज्जं भासं भासति । जाहे णं सक्के देविंदे देवराया सुहमकायं णिहित्ता णं भासं भासति, ताहे णं सक्के देविंदे देवराया अणवज्जं भासं भासति, से तेणटेणं जाव भासति । (प्रश्न) देविंदे देवराया किं भवसिद्धीए अभवसिद्धीए सम्मदिट्ठीए मिच्छादिट्ठीए एवं जहामो उद्देसए सण्णंकुमारे जाव नो अचरिमे ।" (भगवतीसूत्र श० १६ उ० २) अर्थात् - (प्रश्न) हे प्रभो ! शक्र देवेन्द्र देवताओं का राजा सावध (पापयुक्त) भाषा बोलता है अथवा निरवद्य (पापरहित) भाषा बोलता है? (उत्तर) हे गौतम ! वह सावध भाषा भी बोलता है, निरवद्य भाषा भी बोलता है। (प्रश्न) हे पूज्य ! आप ऐसा कैसे कहते हैं कि वह सावध भाषा भी बोलता है, निरवद्य भाषा भी बोलता है ? (उत्तर) हे गौतम ! यदि शक्रेन्द्र देवेन्द्र देवताओं का राजा मुख को हाथ से ढाँक कर अथवा वस्त्र से ढाँक कर नहीं बोलता तो सावध भाषा बोलता है। हाथ अथवा वस्त्र से मुख को ढाँक कर बोलता है तो निरवद्य भाषा बोलता है। (प्रश्न) हे प्रभो ! शक्र देवेन्द्र देवताओं का राजा भवसिद्ध है अथवा अभवसिद्ध है? Shrenik/DIA-SHILCHANDRASURI / Hindi Book (07-10-2013)/(1st-11-10-2013) (2nd-22-10-2013) p6.5 [35]
SR No.009969
Book TitleSaddharma sanrakshaka Muni Buddhivijayji Buteraiji Maharaj ka Jivan Vruttant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherBhadrankaroday Shikshan Trust
Publication Year2013
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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