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________________ जन्म और निवासस्थान तुम्हारा आशीर्वाद सफल हो । हमें आपकी कृपा से पुत्र की प्राप्ति हो जावेगी इसमें सन्देह नहीं, फिर वह चाहे साधु हो जावे, इस बात की हमें कोई चिन्ता नहीं। उसे देखकर ही हम कृतकृत्य हो लिया करेंगे।" महात्माने पुनः कहा - "पुत्र का नाम टलसिंह रखना । 'टल' का अर्थ है घंटा-घडियाल । तुम लोगों के यहा पैदा होनेवाला बच्चा बडा भाग्यशाली होगा । इसके आगे घंटेघडियाल, बाजे बजा करेंगे । बडे-बडे सेठ, साहूकार, राजे, महाराजे इसके चरणों में झुकेंगे । जैसे टल (घंटा) बजने से चारों दिशाओं में रहनेवाले लोग सावधान हो जाते हैं, उसी प्रकार इस बालक के प्रभाव से गुमराह (पथभ्रष्ट) लोग सत्पथगामी बनेंगे। कुछ समय बीतने के बाद सरदार टेकसिंह की पत्नी कर्मोदेवी ने एक पुत्ररत्न को जन्म दिया । माता-पिता के लिये विक्रम संवत् १८६३ (ई०स० १८०६) का वर्ष धन्य हुआ, जिसमें इस बालकने जन्म लिया । टेकसिंह के हर्ष का पारावार न रहा । पुत्रजन्म की खुशी में गांववालों को सहभोज दिया । पारिवारिक जनों के सामने बालक का नाम टलसिंह रखा । परन्तु गाँववाले इस बालक को दलसिंह कहकर पुकारने लगे। 'दल' का अर्थ होता है 'समुदाय' और 'सिंह' का अर्थ होता है 'शूरवीर' । अर्थात् मानवों में श्रेष्ठ शूरवीर अग्रणी, नेता, कप्तान, कमांडर । गाँववालों का यह कहना था कि साधु बाबा इस बालक के विषय में भविष्यवाणी कर गये हैं कि यह बालक संसाररूपी भयंकर अटवी में भटकते प्राणियों की रक्षा करने में सिंह के समान नीडर नेता बननेवाला है। इस गुण को सार्थक करनेवाला नाम दलसिंह उपयुक्त है। जब यह बालक सात-आठ वर्ष का हुआ, तब इसके पिता टेकसिंह का Shrenik/DIA-SHILCHANDRASURI/ Hindi Book (07-10-2013)/(1st-11-10-2013) (2nd-22-10-2013) p6.5
SR No.009969
Book TitleSaddharma sanrakshaka Muni Buddhivijayji Buteraiji Maharaj ka Jivan Vruttant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherBhadrankaroday Shikshan Trust
Publication Year2013
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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