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महावीर परिचय और वाणी
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(६) जब बलत्कार की घटना हा रही हो उस समय महावीर केवल द्रष्टा रहेंगे या कुछ करेंगे मी ? मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि महावीर कुछ भी न करेंगे । जो हाता होगा उसे वे होन देंगे । आप उस अवस्था में पच्चीम वातें साचेंगे तव करेंगे | लेकिन महावीर से कुछ होगा साचेंगे वे नहा । जो हो जायगा, वह हो जायगा । महावीर लौटकर भी नही सोचेंगे कि मैंने क्या किया क्याकि उन्होंने कुछ विया नही । इसलिए महावीर कहते हैं कि पूर्ण कृत्य कम वा बाधन नही बनता - टोटल ऐक्ट कोई वघन नहा लाता । कुछ उनसे होगा कि नहीं, इसे हम प्रिडिक्ट हा कर सकते। हम कह नहीं सकते कि वे क्या करगे । महावीर भी नहीं कह सकते पहले से कि मैं क्या करूंगा। हमार विषय म भविष्यवाणी की जा सकती है। जितनी गहरी नासमयी होगी, हमारे काय उतने ही अधिक सुनिश्चित होगे । जैसे- जैस जीवन चेतना विकसित होती है वैस वसे मनुष्य के काय-क्राप मुक्त और अनिश्चित हाते जाते हैं । साधारण आदमी के सम्बंध में वहा जा सकता है कि वह वल सुबह क्या करेगा। महावीर या बुद्ध के सम्बंध में ऐसी बात नही कही जा सकती । च क्या करेंगे, यह बहुत अनात और रहस्यपूर्ण है । उनको पूण दष्टि म न जानें क्या दिसाई पड जायगा । पर वे साचकर कुछ करने नही जायेंगे । वहा दिखाई पड़ेगा और यहाँ वृत्य घटित हो जायगा । और उसका दायित्व महावीर पर बिल्कुल न होगा | अगर वे किसी की हत्या में रकावट डालगे भी तो यह उहा कहेंगे कि मैंने किसी की हत्या होने न दी । वे कहेंगे कि मैंने दसा था हत्या हा रही थी और मैंन यह भी देखा था कि इस शरीर ने वाधा डाली थी। में साक्षी था इस
घटना वा ।
महावीर साही बन रहेंगे वारके भी और बलात्कार ने राम जाने वे भी । तभी व बाहर हागे वम व विचार से वासना और इच्छा से किया गया बम पर लाता है। महावीर जो मी करत हैं वह प्रयोजन रहित लक्ष्य रहित, परहित, विचार रहिन और शून्य से निकला हुआ कम होता है। सूय साव कम रिक्तता है तब वह भविष्यवाणी के बाहर हो जाता है । में नहीं वह सरता वि महावार क्या करेंगे| अगर आपने महावीर से पूछा हाता तो महावीर भी नही यह सक्त थे कि मैं क्या यगा ।
(७) प्रश्न है कि हम पूछना क्या चाहते है ? हम पूछना इसलिए चाहत हैं अगर हम का पता घर जाय कि महावार क्या करेंगे, तो वहा हम भी बर सकते हैं। रेपिन ध्यान रहे महावीर हुए बिना आप वही नहा कर सकत । हो, यही बरत हुए मालूम पद सबत हैं। यही ता उपद्रव हना है। महावीर ने पोछ उनके अनुयायिया की लम्बी कतार खडा है और व महावीर वो नवल पर रहे हैं। परंतु इस नगर से आत्मा वा पाई अनुभव नही उपजता । उनवे-जस व्यक्तित्या