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महावीर : परिचय और वाणी
की अनुकृति नही हो मकती। लेकिन सभी परम्पराएं यही काम कर रही है और इसी से दुनिया में सारे धर्मों के झगडे सटे होते हैं। हम कर्मों मे जान को नापते है, यही भूल हो जाती है। कर्म ज्ञान से पैदा होते है और ज्ञान कर्म से बहुत बटी घटना है।
महावीर ने जो भी किया वह खास-खास स्थितियो मे किया। कृष्ण और क्राइस्ट की स्थितियाँ उन स्थितियो से अलग थी। आपकी स्थितियां भी अलग है। फिर भी, आप शास्त्रो मे खोजते हैं कि इन-इन स्थितियो मे महावीर ने क्या दिया, ताकि आप भी वैसा ही कर सकें। पर यह न भूलें कि न तो आज वह स्थिति है और न आप महावीर है । महावीर ने कभी लौटकर यह नहीं देता कि किसने क्या किया था, वैसा ही मै भी कहेंगा । इसलिए ठीक से समझे तो महावीर जो कर रहे है वह कृत्य नही है, ऐक्ट नहीं है। वह घटना है, कोई नियमबद्ध बात नहीं । वह नियममुक्त चेतना से घटी हुई स्वतत्र घटना है। इसलिए उसमे कर्म का भी वन्धन नहीं है। महावीर से जरूर कुछ होगा, लेकिन क्या होगा, यह नहीं कहा जा सकता । कर्म उसका नाम नहीं है, वह घटना है। इसलिए मैं कोई उत्तर नही दे सकता कि महावीर क्या करेंगे।
(८) जीवन प्रतिपल बदल रहा है। वह भागती हुई फिल्म की भॉति है, चलचित्र की भाँति । वह डाइनैमिक है, उसमे सब बदल रहा है-सारा जगत् वदला जा रहा है। हर वार नई स्थिति है और हर बार नई स्थिति मे महावीर नए ढंग से प्रकट होगे। अगर महावीर आज हो तो जैनियो को जितनी कठिनाई होगी, उतनी क्सिी और को न होगी। जैन सिद्ध करेंगे कि यह आदमी-महावीर-गलत है । वे महावीर की २५०० साल पहलेवाली जिन्दगी उठाकर जांच करेगे कि यह आदमी वैसे ही कर रहा है कि नहीं कर रहा है, जबकि एक बात पक्की है कि महावीर वैसा नही कर सकते, क्योकि वैसी स्थिति नही है। सब बदल गया है। इसलिए महावीर को जैन लोग स्वीकार न कर सकेगे। यही वुद्ध और कृष्ण के साथ होगा। होने का कारण है। हम कर्मों को पकडकर बैठ जाते है। परन्तु कर्म तो राख की तरह है, धूल की तरह है। वृक्षो के सूख गए पत्तो से वृक्ष नही नापे जा सकते । वृक्ष मे प्रतिपल नए अकुर आ रहे है। वे ही वृक्ष के जीवन है । सव कर्म आपके सूखे पत्ते है । वे बाहर गिर जाते है । वृक्ष का सम्बन्ध तो प्राण की सतत धारा से है जहाँ नए पत्ते प्रतिपल अकुरित हो रहे है। और नए पत्ते कसे अकुरित होग, यह नहीं कहा जा सकता, क्योकि वृक्ष सोच-सोचकर पत्ते नही निकालता । वृक्ष से पत्ते निकलते है । सूरज कैसा होगा, हवाएँ कैसी होगी, वर्षा कैसी होगी, चाँद-तारे कैसे होगे, यह इन सब पर निर्भर करेगा। उन सबसे-समन से---पत्ते निकलेगे ।