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महावीर परिचय और वाणी
२५९ को उहात महावीर में पीछे एप ग्मी परम्परा मही की जिसमा महावीर ग माई मम्य प नहा है। जीपा की आरामा त्याग 7 | साग महावीर ये परीव नही भात मग्न मी नारामासारण य उनर निपट आए । जो मरा ची इच्छा म आए ये महावीर पी परम्परा म बात अग्रणी हो गए । ग्पनावत जो मग्न यो मार है उगा नाहन म काई असुरिधा नहा हाती। पर इमग महावीर रिसर को आज या दुनिया म पाम बडी पटिगा हा गड, क्यापि गएम पागापि मापीर या चितन आत्मपीडा के लिए है जो अपन मतानकार है । ऐयिा महागीर मलि हुए यमर जम गरीर पादार एमा ना रगता EिT आणी ने अपनी जाग गाय ज्यादापीहा। महावीर रच पर भी आमपो थरिन छाप पोछे मालपीन्या पी म्बी परम्परा हाग हो गट, या मर गई।
(6) मावार पो प्टि म जा म्बय पामता है यह ना दूगर या सा है, पापि यह परमपिर पर रता है। पररीर या मतास“गता है पारि गा दागहै। पर रार जो मर जापाम, उतना तो दूारा है मर दिए FTII मापारीर ॥ जरा दूर । भरा यह गरीर ना ही दूगरा जितना
आपागर । पर गिर इतना है कि अपने शरीर या गाल पर पाई पाती मापोगी, गाई निरा बापा Tी बनगी । गरि जाशियारप मजान पा मग अपनी पगरा मतापर है। तिगामा मना EिTT दमा
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