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महावीर परिचय और वाणी
१९३ आमा। ये चीजें कभी भी जारमा नहीं बन सकती। अनेक जमो का अनुभव भी हम इस बात से रोप नहा पाता कि हम वस्तु को आत्मा न बना सकेंगे-'हैविंग' वनी 'बीइग नहीं बन सकता। कभी नहीं । इसरिए महावीर या बुद्ध या जीउस उन लोगा का पागल कहते हैं जा परिग्रह म पड़े हैं।
सुरा है मैंने वि डायोजनिज न सिक दर से एक बार पूछा कि अगर तू पूरी दुनिया पा लेगा तो फिर क्या करेगा? यह सुनकर सिकदर उदास हो गया। उसने कहा-ठीक कहते हैं आप, क्याकि दूसरी तो काई दुनिया नहीं है । अगर मैं एक पा
गा तो फिर क्या करूँगा? ___ यापन कभी सोचा है कि आप जो चाहते हैं, वह आपको मिल जाय ता क्या होगा? अगर हम कभी इस दुनिया म कल्पवक्ष बना सकें तो प्रत्यक आदमी को मनावीर हो जाना पडेगा और मारी दुनिया अपरिग्रही हो जायगी। जसे ही कोई ची। आप को तत्काल मिर गई, वैम ही वह वेकार हो गइ। आप फिर पुरानी जगह राडे हो गए। आप एक भूख हैं एक खालीपन एक रिक्तता, जो हर चीज ये पाद पिर आगे आवर सडी हो जाता है । मनुष्य को वासनाएँ सकुलर हैं गाल है इसलिए आगा उपर घ बनती हुई दिखाई पड़ती है, बनती कभी नहा। हम अपन को घोसा दिए चले जाते हैं। हम सोचत है कि एक रुपया हम मिल जाय तो हम आननित
गे जायगे । रपया हमे मिल जाता है पर हम आनन्दित नहा होते । साचते है, दूसरा मिल जाय । वह भी मिल जाता है तीसरा भी मिल जाता है परतु आनद नहीं मिरता। हम भूल जाते हैं कि दूमरा रुपया भी पहले रपए की प्रतिलिपि है कापी है तीमरा दूसरे की प्रतिलिपि है वह भी उसी या चेहरा है। ये मिस्त चल जाते हैं और हम इनम सोत जात है। करोड रुपए एकत्र हो गए फिर भी आशा ज्याकी स्या है। इसलिए कमी-कभी हम हैरानी होती है रि कराडपति भी एक रुपए के लिए इतना पागल क्या होता है । क्राडपति भी एक रुपए के लिए उतना ही दीवाना होता है जितना वह होता है जिसरे पास एक भी नहा है । आप पारा कितना राया है इमसे पाई पर नहीं पडता। यह जो आगे है जो नहीं है आपके पास वह दौन्ता परा जाता है। और पर वार यरोडपति तो और भी एपण हा जाता है ययारि उसपरा अनुभव बताता है कि राह म्पए हो गए फिर भी अभा उपधनहा हुई । अब एक-एक रुपए का जितना जोर से पकड़ा जा सबै उतना ही ठीक है, यानि जावन चुप रहा है। वह भूल जाता है कि दुनिया में कोई कमी व महा पचता जहां वर पहुचना पाहता है। पासा सदा यही रहता है जा गुरु परत यक्त होता
| Tम के दिन जितना पारा हाना है, मृगु मे दिन उतना ही पाराग हाता है। सिप एम पर पड़ता है। जम के दिन मुरा निमरता है, मृत्यु ये दिन सूरा स्ता है गौर अधेरा होना है। जमग दिन आगाएं होती है, मृत्यु २ दिन विपाद
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