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महावीर परिचय और वाणी
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मोक्ष में तो प्रेडिक्न ( भविष्यवाणी ) ही नही हा गरती । वहाँ तो
वात्माएँ पूर्ण मुक्त हैं |
मनुष्य वा पूर्ण वितान बनाना है। किसी का हम गाली तो साधारणत वह ना परेगा रविन कोई महावीर भी मिल सकता है जा गाली सुनकर भी चुप चाप सहा रह और श्राध न वर । आदमी जितना ही चेतन हाता जायगा वह उतना ही 'डिक्शन व बाहर होगा। जितना नीचे उतरेंग, चक्र उतना ही सुनिश्चित है। जितना उपर उठेंगे, चार उतना ही गति है । पूणतया ऊपर उठ जान पर चार नहा रह जाता सिर्फ आप रह जाते हैं बाई दबाव और दमन नहा होगा। यहा मुक्ति और स्वतंत्रता या अय है । घुसे मोक्ष की भोर जो यात्रा है, वह चेतन स चेतन की ओर पाया है ।
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मैंने कहा है कि महावीर की आत्मा मुक्त होकर भी वापस आ गई थी। क्या मुक्तात्माएँ धूम पिरवर फिर महा पहुँच जाती ?
महायान में वहा गया है कि बुद्ध का निर्माण हुआ और वे मोग में द्वार पर पहुँच गए। जब द्वारपाल न उनका स्वागत किया और मोतर चलन को यहा तब बुद्ध जयाब दिया जब तब पथ्वी पर एक व्यक्ति भी अमुक्त है तब तरीक जाऊँ ? अगाभन है यह । अभी पथ्वी पर बहुत लोग बचे हैं लगी हैं।' इशा यह पर बुद्ध आनंद में प्रवेश पर गए।
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यह कहानी महायान बौद्धा में प्रति है । दगा अप यह है वहा जाना ही मोक्ष म प्रवण वरना नहीं है। सुबा होता मात्र या प्रकार है। मुक्त होकर ही गाई व्यक्ति माक्ष में प्रपाता है, अन्यथा नहीं । मुक्त हो जाना ही प्रथन करना रहा है। द्वार पर पहुंदर भी कोई है हा यापिएर बार वापस न पा उपाय ना है। जाउ हुआ है वह अगर अभिव्यक्ती हा पाया और मिस्ण है या अगर वोटा 7 जागरा वा जीवन म एक बार फिर वापस जाती है। न जान पर भीमा या दूर जाती है। बम ही अगर यामा में गुति हा जा पादरजा जाता है मारवाना पागो पाटीरता है--7 व्यतिगामी एक जीवन के लिए यह कोट आ गया है। म हर अवतार
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गियर दो मोटा है और वो