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महावीर परिचय जर वाणी
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बहन है कि यद्यपि महावीर समानता के समर्थक थे फिर भी उनके संघ म मास उपभित रहा था। इस सम्बाध में कुछ बुनियादी बातें व्यान में रखनी हामी । पहली बात तो यह है कि महावीर के मन में स्त्री पुरुष के बीच असमानता का कोई भाव न था । समानता की पक्ड इतनी गहरी थी कि मनुष्य और पशु म भा मनुष्य और पौधे में भी वे असमानता का भाव नही रक्त थे फिर भी स्त्री
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सूक्ष्म वारण है ।
पुरुष व पक्ष म
पुस्प के बीच साधु-सव में उन्होंने कुछ भेद किया था जिसके कुछ महावार स्त्री वे विरोध म नहीं है स्त्री चित्त के विरोधी हैं। वे नही ह लfer पुम्प होने का एक गुण है उस पक्ष में है । पुरुषत्व का जय है afrat | महावीर का माग मी सत्रियता का भाग है। उनकी पूरी साधना-जसा मैंने पहल भी कहा है-सकल्प जोर श्रम की सावना है। तो महावीर कहते हैं fr स्त्रीषो भी अगर सत्य पाना है तो पुरुष होना पड़ेगा । इसी बात का होगा ने गत समझ लिया । एमा समझ लिया कि स्त्री योनिस मोक्ष असम्भव है । बात बिलकुल दूसरी है । पुरुष यानि स ही मोन हो सकता है महावीर के माग पर लेविन पुम्प योनि वा मतब गरीर से पुग्प हो जाना नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है निष्कि यता वा त्याग। जिस प्रकार ना को वक्ष का सहारा चाहिए उसी प्रकार स्त्री भी पुरुष का सहारा मांगती है । महावीर महारे व एक्दम मिलाफ है । तुमने सहारा मांगा कि तुम पर हुए
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जनावे एवं तीयवर है - महलीवाइ । मलीबाई स्था थी, रोविन दिगम्बरा उन्हें मीनाथ कहा है। उन्हें स्त्री कहना वास्तव में बमानी है। उन्होंने कोई महारा नहीं मांगा। इमलिए स्त्री मी ? मालीबाई वहा ही नही दिगम्बरान । उन्होंने कहा- मल्लीनाथ | पीछे झगडा वडा हो गया मिलीबाई स्त्री थी या पुरुष ? दिगम्बरो न यहा-पुरप वेताम्बरा ने कहा- स्त्री । दोनों ठीक है । मल्लाबाई स्त्री था लेकिन उन चित्ती स्त्रिया जंगी न थी ।
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वो पुरुष थे मगर उनके पास स्त्रिया या चित्त था। वे रवीद्रवाई पर जा सकत हैं। शायद सभी कविया 4 पास ऐसा हो जीवित होता है। अस
जम ही नहीं हो सकता पुरष चित्त से
मत
स्वप्न और पल्पना का है। असल में यदि महावीर कष्टम न पुम्प ऊँचा है और न स्त्रीनीची है। रिव यह नो महत हैं कि स्त्री चित्त को मान नहीं है। स्त्री मी मात्र यी अधिवारिणा है लि होना चाहिए। हो, यति मीराय माग मे जाना हो तो स्त्री चित्त हा सिलिए कोई मुक्ति नहीं है। महावीर का भाग पुष्यवा भाग है इसलिए उस भाग पर स्त्री में लिए जान नहीं है। यह भी है
चित
। स्त्री का पूरा चित वाक्य, है निष्यि वित्त ।