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महावीर : परिचय और वाणी कि अधिक लोग वीच का रास्ता पकढ़ते है जिसमें वे ध्यान भी करते है और पूजापाठ भी। ध्यान पुरुपमार्ग का हिस्सा है और पूजा स्त्री-मार्ग का हिस्सा। दोनों के घोल-मेल से मक्त होना मुश्किल है। महावीर के मार्ग पर स्त्रियां उपेक्षित हैं, ऐसा नही है, बल्कि स्त्री-चित्त उपेक्षित है जमा कि मीरा के मार्ग पर पुरुप-चित्त उपेक्षित है।
एक साध्वी ने कहा है कि महावीर के मार्ग पर यह बडी वेवूझ वात है कि एक दिन के दीक्षित साघु को भी सत्तर वर्ष की दीक्षित साध्वी प्रणाम करेगी। यह पुरुप के लिए बहुत सम्मान की बात जान पाती है और लगता है कि इससे स्त्री को बहुत अपमानित कर दिया गया। वात उलटी है। महावीर ने यहाँ अद्भुत मनोवैज्ञानिक सूझ का परिचय दिया है। फ्रॉयड के पहले किसी आदमी ने ऐसी सूझ नही दिखलाई। लेकिन सूझ इतनी गहरी है कि दिसलाई नही पडती। चूंकि आक्रामक पुरुप-चित्त ही पाप मे ले जा सकता है, स्त्री कभी नही, इसलिए महावीर ने बड़ा मुगम उपाय किया है कि स्त्री पुरुष को आदर दे। स्नी जिस पुरुष को आदर देती है, उस पुरुष के अहकार को कठिनाई हो जाती है उस स्त्री को पाप की ओर ले जाने मे। इसलिए महावीर ने कहा कि स्त्री कितनी ही वृद्धा हो, पुरुप को आदर दे, उसके पैर छू ले, ताकि उसके अहकार को कठिनाई हो जाय और वह स्त्री को पाप मे ले जाने की कल्पना भी न कर सके । अगर ध्यान से देखा जाय तो मालूम होगा कि झुकती तो स्त्री है, किन्तु सम्मान उसे ही मिलता है, पुरुप का अनादर होता है। लेकिन यह देखना जरा मुश्किल मामला है । यह भी ध्यान रखे कि महावीर के तेरह हजार साधु थे और चालीस हजार साध्वियाँ। यह अनुपात हमेशा ऐसा ही रहा है। साध्वियां जितनी साध्वियां होती है, साधु उतने साधु नही होते । चूंकि वे किसी भी काम मे पहल नही करती, इसलिए जहाँ भी होती हैं वे वही रुक जाती है। अगर स्त्री को काम-वासना मे दीक्षित न किया जाय तो वह आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन कर सकती है। स्त्री को काम-वासना मे भी दीक्षित करना पडता है, धर्म-साधना मे भी दीक्षित करना पडता है-वह पहल लेती ही नही। इसलिए निर्दोष लड़कियाँ मिल जाती हैं, निर्दोष लडके बहुत मुश्किल से होते है। चूंकि लडकियाँ कभी कोई पहल नही दे सकती, इसलिए महावीर ने व्यवस्था की कि हर स्थिति मे साध्वी साधु को आदर दे। इससे पुरुप के अहकार की भी वडी तृप्ति हुई। साधुओ ने समझा होगा कि हमारा वड़ा सम्मान हुआ। वे आज भी यही समझ रहे है। लेकिन इस व्यवस्था का कारण विलकुल मनोवैज्ञानिक था। अगर एक स्त्री आपके पैर छू ले तो आप उस स्त्री को काम की दिशा मे ले जाने मे एकदम असमर्थ हो जायँगे, आपके अहकार को वडी वाधा होगी। आप उस सम्मान की रक्षा करना चाहेगे। यदि इस विधान के विपरीत पुरुप ही स्त्री के पैर छूता तो वात