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ज्यों था त्यों ठहराया
चित्त में विचार नहीं, देह में क्रिया नहीं--उसी अक्रिया की अवस्था में तुम्हारे भीतर जो पड़ा है हीरा--दमक उठेगा। जो सूरज छिपा है--उघड़ आएगा। बदलियों में छिपा है, प्रकट हो जाएगा; क्षितिज के ऊपर उठ आएगा। तुम आलोक से भर जाओगे। और यह कोई बाह्य उपलब्धि नहीं है। यह तुम्हारी निजता है, तुम्हारा स्वभाव है, तुम्हारी सहजता है। इस सहजता में ही आनंद है सहजानंद!
दूसरा प्रश्नः भगवान, यह जीवन क्या है? इस जीवन का सत्य क्या है? कहां-कहां नहीं खोजा, लेकिन हाथ खाली के खाली हैं।
पुरुषोत्तम! खोजोगे, तो हाथ खाली ही रहेंगे। और कहां-कहां खोजोगे तो खाली ही रहेंगे। कहां-कहां खोजने का मतलब--बाहर-बाहर खोजना। काशी में, कि काबा में, कि कैलाश में। गीता में, कि कुरान में, कि बाइबिल में। कहते हो--कहां-कहां नहीं खोजा! इसीलिए तो खाली हो। झांकना है अपने भीतर--कहां-कहां नहीं खोजना है। सब खोज छोड़ दो। बैठ रहो। अपने भीतर ठहर जाओ। ज्यूं था त्यूं ठहराया! उस स्थिरता में, उस स्थितप्रज्ञ की अवस्था में, उस परम स्वास्थ्य में...। स्वास्थ्य का अर्थ है--स्वयं में ठहर जाना। स्वस्थ। स्व में स्थित हो जाना। तुम पाओगे।
और मजा यह है--उसे ही पाना है, जिसे पाया ही हुआ है। उसे ही खोजना है, जो मिला ही हुआ है। तुम उसे ले कर ही आए हो। वह तुम्हारे जन्म के साथ आया है। जन्म के पहले भी तुम्हारा था; अब भी तुम्हारा है; मृत्यु के बाद भी तुम्हारा होगा। मगर तुम भागते फिरो सारी दुनिया में, तो स्वभावतः चूकोगे। क्योंकि भीतर तो झांकने का अवसर न मिलेगा। अब तुम पूछते हो, यह जीवन क्या है? यह प्रश्न इसलिए उठ रहा है कि तुमने जीवन को भीतर से जी कर नहीं देखा। बुद्धि में बस, सोच रहे हो कि जीवन क्या है? जैसे कि कोई उत्तर मिल जाएगा! जीवन कोई ऐसी चीज नहीं है कि बुद्धि उत्तर दे दे। जीवन तो जीने में है। जीवन कोई वस्तु नहीं है। इसका विश्लेषण नहीं हो सकता--कि टेबिल पर रख कर और इसका तुम विश्लेषण कर डालो, कि परखनली में रख कर और इसकी जांच-पड़ताल कर लो; कि तराजू पर तौल लो, कि गजों से नाप लो! यह जीवन तो तुम्हारे भीतर है। तुम जीवित हो--और पूछते हो, जीवन क्या है? तुम सुगंधित हो--और पूछते हो सुगंध क्या है! तुम चैतन्य हो--और पूछते हो: जीवन क्या है? यही है जीवन--जो तुम हो। पूछते हो, जीवन का सत्य क्या है? कहां-कहां नहीं खोजा? खोजते रहो; जनम-जनम से खोज रहे हो। खोज-खोज कर तो खोया है। अब खोज छोड़ो।
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