________________
ज्यों था त्यों ठहराया
की आयत उठ रही हो मगर सौभाग्य होगा वह दिन जिस दिन मंदिरों में कुरान की आयतें उठेंगी, और मस्जिदों में गीता का उदघोष होगा। उस दिन पृथ्वी सच में ही धन्यभागी होगी । अभी तो मंदिर मसजिद की गर्दन काटने को तैयार है। मसजिद मंदिर को राख करने को तैयार है। ये धार्मिक लोग हैं! अभी गीता कुरान को जलाने में उत्सुक है। कुरान गीता को मिटाने में उत्सुक हैं। ये धार्मिक लोग है?
धर्म तो एक है, और एक ही हो सकता है। क्योंकि सत्य एक है। लेकिन ये राजनीतियां हैं,
जिन ने तुम्हें बांट रखा है।
ये सारे कारवां उसी की तरफ जा रहे हैं--उसी एक की तरफ रास्ते थोडे अलग भी हों, वाहन
अलग भी हों, मंजिल एक है।
तही जिंदगी से नहीं ये फिजाएं। यहां सैकड़ों कारवां और भी हैं।
कनायत न कर आलमे-रंगा-बू पर चमन और भी आशियां और भी हैं ।। थोड़े आंखें खोल कर देखो यह बगिया तुम्हारी ही बगिया अकेली बगिया नहीं है और भी बगियाएं हैं, जहां और भी फूल खिले हैं। अंधे मत हो जाओ। जिसने गीता को समझा, अगर क़ुरान को न समझ पाए तो समझना उसने गीता को नहीं समझा। वह परीक्षा में असफल हो गया। वह प्रेम की परीक्षा में उत्तीर्ण न हुआ। और जिसने कुरान को समझा, अगर वह उपनिषद को न समझे, तो समझना कि कुरान को भी नहीं समझा। क्या खाक कुरान को समझा।
7
।
भाषाएं अलग थीं, इशारे अलग थे, अंगुलियां अलग थीं। चांद तो अंगुलियां उठी हैं। हजारों अंगुलियां उठी हैं। बुद्ध की, महावीर की, मोहम्मद की जीसस की, जरथुख की अगर खो गया इक, निशेमन तो क्या गम मुकामाते आहो- फुगा और भी हैं !
गिरजे गुरुद्वारे तुम्हारे होंगे क्या नमाज पढ़ लेना। मंदिर में पूजा
जिस दिन ये सारे घर तुम्हारे होंगे, ये सारे मंदिर-मस्जिदें, फर्क पड़ता है, एक मंदिर गिर भी गया, तो मसजिद में कर लेना क्या फर्क पड़ता है मसजिद जल भी गई, तो मंदिर में नमाज पढ़ लेना, तो मंदिर में पूजा कर लेना।
धार्मिक व्यक्ति भी अगर संकीर्ण हो, तो फिर धार्मिक अधार्मिक में भेद क्या है? एक ही भेद हो सकता है: संकीर्णता गिर जाए, भेदभाव गिर जाए ।
तू शाहीं है परवाज है काम तेरा। तुम बाज पक्षी हो, उड़ानें भरना ऊंचे आकाश में तुम्हारा काम है। बाज पक्षी होकर और जमीन पर घसिट रहे हो - कीड़े-मकोड़ों की तरह !
तू शाहीं है परवाज है काम तेरा
तिरे सामने आस्मां और भी हैं ।।
Page 139 of 255
--
एक ही है- जिसकी तरफ कबीर की, नानक की,
--
http://www.oshoworld.com