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व्यवहार भाष्य में वेदोदीर्ण शिष्य की काम चिकित्सा के क्रम में 'ऊर्ध्वस्थान' आदि आसनों का उल्लेख है।
मनोनुशासनम् की व्याख्या में आचार्य महाप्रज्ञ ने ब्रह्मचर्य विकास के लिए निम्न आसनों का उल्लेख किया है- गोदोहिकासन, उत्कटुकासन, समपादपुता, गोनिषधिका, हस्तिशुण्डिका, पद्मासन, बद्ध पद्मासन, योगमुद्रा, अर्धपद्मासन, ऊर्ध्वपद्मासन, सुखासन, कुक्कुटासन, सिद्धासन, वज्रासन, महामुद्रा, कन्दपीडनासन, एकपार्श्वशयन, ऊर्ध्वशयन, भुजंगासन, सर्वांगासन और शीर्षासन। 5
___ संबोधि में सिद्धासन, पद्मासन, पादांगुष्ठासन आदि आसनों को ब्रह्मचर्य विकास में उपयोगी माना गया है। 3.5.2. प्राणायाम - जैन आगमों में 'प्राणायाम' शब्द का प्रयोग नहीं मिलता है किन्तु व्याख्या ग्रन्थों में प्राणायाम के प्रयोग मिलते हैं। आचारांग के भाष्यकार आचार्य महाप्रज्ञ ब्रह्मचर्य विकास में प्राणायाम को बहुत प्रभावी मानते हैं। आचारांग भाष्य में उन्होंने एक प्रयोग इस प्रकार दिया है- अपने इष्ट मंत्र के साथ समवृत्ति श्वास प्रेक्षा की पच्चीस आवृत्तियां करने से काम-वासना उपशान्त होती है।
__ प्राणायाम का महत्त्व बताते हुए ज्ञानार्णव में कहा गया है कि जो योगी एक-एक महीने में कुश के अग्रभाग से केवल जल की एक बूंद को सौ वर्ष से भी अधिक काल तक पीता है, प्राणायाम उसके समान है। यहां कामवासना पर विजय के लिए प्राणायाम को एक अच्छा साधन माना गया है।
मनोनुशासनम् की व्याख्या में आचार्य महाप्रज्ञ ने वीर्यस्तम्भ प्राणायाम (ऊर्ध्वाकर्षण प्राणायाम) तथा अल्पकालीन कुम्भक प्राणायाम को ब्रह्मचर्य के विकास में सहयोगी माना है।" संबोधि में आप कहते हैं कि वीर्य न ऊपर खींचा जा सकता है और न परिवर्तित होता है, किन्तु उसकी प्राण शक्ति ही खींची जा सकती है। संबोधि में एक 'तालयुक्त श्वास' नामक प्राणायाम का अभ्यास दिया गया है जिसमें काम शक्ति का प्रयोग विध्वंस से हटा कर सृजन में किया जा सकता है।"
योग गुरु स्वामी रामदेव भी कामुकता आदि मनोविकारों का समाधान प्राणायाम को मानते हैं। उन्होंने वीर्य की ऊर्ध्वगति करके स्वप्नदोष आदि धातु विकारों की निवृत्ति के लिए बाह्य प्राणायाम (त्रिबन्ध के साथ) तथा ऊर्ध्वरेतस् अर्थात् कुंडलिनी जागरण के लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम की सलाह दी है।" 3.5.3. मुद्रा - काम वासना का एक प्रमुख कारण कामांगों का सक्रिय होना तथा प्राण वायु का निर्बल होना है। आचारांग के भाष्यकार आचार्य महाप्रज्ञ ने एक मुद्रा विशेष का उल्लेख किया है
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