SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तत्त्वार्थ सूत्रम् सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्राणि मोक्षमार्गः।। तत्त्वार्थश्रद्धानं सम्यग्दर्शनम्।। तन्निसर्गादधिगमाद्वा।। जीवजीवास्रव बन्धसंवरनिर्जरामोक्षास्तत्त्वम्।। नामस्थापना द्रव्य भावतस्तन्न्यासः।। प्रमाणनयैरधिगमः।। निर्देशस्वामित्वसाधनाधिकरण स्थितिविधानतः।। सत्संख्याक्षेत्र स्पर्शनकालान्तर भावाल्पबहुत्त्वैश्च।। मतिश्रुतावधिमनः पर्यय केवलानि ज्ञानम्।। तत्प्रमाणे।। आद्ये परोक्षम्।। प्रत्यक्षमन्यत्।। मतिःस्मृतिः संज्ञाचिन्ताभिनिबोध इत्यानर्थान्तरम्।। तदिन्द्रयानिन्द्रियनिमित्तम्।। अवग्रहेहावाय धारणाः।। बहुबहुविधक्षिप्रानिः सृतानुक्त धूवाणां सेतराणाम्।। अर्थस्य। व्यञ्जनस्यावग्रहः।। न चक्षुरनिन्द्रियाभ्याम्।। श्रुतं मतिपूर्व ह्यनेकद्वादशभेदम्।। भवप्रत्ययोऽवधिदेवनारकाणाम्।। क्षयोपशमनिमित्तः षड्विकल्पः शेषाणाम्।। ऋजुविपुलमती मनः पर्ययः।। विशुद्ध्यप्रतिपाताभ्यां तद्विशेषः।।
SR No.009962
Book TitleTattvartha Sutra Mool
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages24
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size80 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy