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* शिक्षक एवं विद्यार्थियों के लिए सूचनाएँ *
१) सन्मति-तीर्थ द्वारा प्रकाशित “अट्ठपाहुड-सार” एवं संबंधित प्रश्नसंच सामने रखकर ही तैयारी करें ।
२) अट्ठपाहुड-सार में बहुत कुछ जानकारी दी है । वह पढने का जरूर प्रयास करें लेकिन परीक्षा के लिए नये
प्रश्नसंच का ही उपयोग करें ।
३) लेखी परीक्षा ४० गुणों की होगी । गुण-विभाजन सामान्यत: इस प्रकार का है ।
अ) जैनधर्म के सम्प्रदाय एवं उपसम्प्रदाय : लगभग ४ गुण ब) जैनदर्शन की महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ
लगभग ४ गुण क) अठ्ठपाहुड-सार i) अट्ठपाहूड-गाथा-पाठान्तर एवं लेखन
लगभग ३ गुण ii) एक-दो वाक्यों में जवाब
लगभग ५ गुण iii) बड़ा प्रश्न
लगभग ४ गुण ड) प्राकृत भाषा का प्राथमिक व्याकरण
लगभग १० गुण इ) प्राकृत भाषा की शब्दसंपत्ति
लगभग ३ गुण फ) स्वरपरिवर्तन
: लगभग २ गुण ग) प्राकृत गद्यपाठ i) अवि तुमं जाणसि ?
: लगभग २ गुण ii) पू.का.धा.अ
: लगभग ३ गुण
४) पाठ्यक्रम १५ जून से प्रारंभ करें । परीक्षा प्राय: फरवरी में होगी ।
५) हर एक विद्यार्थी ने अट्ठपाहुड-सार एवं प्रश्नसंच खरीदना आवश्यक है ।
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