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(A) जैन इतिहास-पुराण
History and Mythology
(१) पंच परमेष्ठी
- अरिहंत
सिद्ध
आचार्य उपाध्याय साधु
(२) चौबीस तीर्थंकर -
१) श्री ऋषभदेवजी २) श्री अजितनाथजी ३) श्री सम्भवनाथजी ४) श्री अभिनन्दनजी ५) श्री सुमतिनाथजी ६) श्री पद्मप्रभुजी ७) श्री सुपार्श्वनाथजी ८) श्री चन्द्रप्रभजी ९) श्री सुविधिनाथजी १०) श्री शीतलनाथजी ११) श्री श्रेयांसनाथजी १२) श्री वासुपूज्यजी
१३) श्री विमलनाथजी १४) श्री अनन्तनाथजी १५) श्री धर्मनाथजी १६) श्री शान्तिनाथजी १७) श्री कुन्थुनाथजी १८) श्री अरहनाथजी १९) श्री मल्लिनाथजी २०) श्री मुनिसुव्रतजी २१) श्री नमिनाथजी २२) श्री नेमिनाथजी २३) श्री पार्श्वनाथजी २४) श्री महावीरस्वामीजी
(३) ग्यारह गणधर -
१) श्री इन्द्रभूतिजी २) श्री अग्निभूतिजी ३) श्री वायुभूतिजी ४) श्री व्यक्तस्वामीजी ५) श्री सुधर्मास्वामीजी ६) श्री मण्डितपुत्रजी
७) श्री मौर्यपुत्रजी ८) श्री अकम्पितजी ९) श्री मेतार्यस्वामीजी १०) श्री अचलभ्राताजी ११) श्री प्रभासस्वामीजी
(४) तिरसठ शलाकापुरुष - २४ तीर्थंकर
१२ चक्रवर्ती ९ बलदेव (बलभद्र, बलराम, हलधर) ९ वासुदेव (नारायण, केशव) ९ प्रतिवासुदेव (प्रतिनारायण, प्रतिशत्रु)
६३ दिगम्बर परम्परा में इनके अलावा ९ नारद, १२ रुद्र, २४ कामदेव और १६ कुलकरों की भी अवधारणा है । जैन परम्परा ने तेजस्वी और प्रसिद्ध पुरुषों को ‘शलाकापुरुष' कहा है ।