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सम्पादकीय
बच्चों के लिए ‘जैनॉलॉजी प्रवेश' के पाँच साल के श्रेणीबद्ध पाठ्यक्रमों के बाद 'जैनॉलॉजी परिचय' के पाठ्यक्रमों का सन्मति-तीर्थ ने पूरे उत्साह से और लगन से निर्माण किया । 'जैनॉलॉजी परिचय' को टीनएजर्स का और नयी बहूओं का अच्छा रिस्पॉन्स मिला ।
बदलते माहौल के अनुसार परीक्षा का ढाँचा बदला । देखते ही देखते 'जैनॉलॉजी परिचय (३)', अध्यापन की धारा में प्रवेश कर रहा है ।
इस किताब में प्रार्थना के अनन्तर जैनधर्म की मूलभूत जानकारी दी है । आशा है कि, जैनधर्म की ये सुदृढ व युवा-वर्ग को पूरी जिंदगीभर साथ देगी । प्राकृत भाषा का परिचय, व्याकरण और छोटे छोटे वाक्य देनेका प्रयास पिछले सात सालों से हम धारावाहिक स्वरूप में कर रहे हैं । इस पुस्तिका में भी भरपूर प्राकृत वाक्यों के साथ व्याक्णपाठ दिया है । जैन आगमों का साक्षात् ज्ञान कराने में ये पाठ जरूर मददगार साबित होंगे ।
हिंदुओं में भगवद्गीता का, बौद्धों में धम्मपद का और ईसाईयों में बायबल का जो स्थान है, वही जैन धर्म म ‘उत्तराध्ययन' का है । हम चाहते हैं कि युवा वर्ग को 'उत्तराध्ययनसूत्र' का अच्छी तरह से प्राथमिक परिचय हो । प्रश्नसंच बनाते समय सुलभता और सुविधा का खयाल रखा है ।
शिक्षिका और विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ !!
श्रीमान् अभयजी फिरोदिया के प्रति तहेदिल से धन्यवाद प्रदर्शित करते हैं । हम जानते हैं कि “पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान होती है ।"
आपकी विनीत,
डॉ. नलिनी जोशी
सन्मति - तीर्थ
मानद सचिव,