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३. उत्तराध्ययन- सार - प्रश्नसंच
अ) : उत्तराध्ययनसूत्र की निम्नलिखित गाथाएँ कंठस्थ करके शुद्ध रूप में लिखिए ।
१) चत्तारि परमंगाणि, दुल्लहाणीह जंतुणो । माणुसत्तं सुई सद्धा, संजमम्मि य वीरियं ।।
२) माणुसत्तं भवे मूलं, लाभो देवगई भवे । मूलच्छेएण जीवाणं, नरग-तिरिक्खत्तणं धुवं ।।
३) जहा लाहो तहा लोहो, लाहा लोहो पवड्ढई । दोमासक कज्जं, कोडीए वि न निट्ठियं ।।
४) जस्सत्थि मच्चुणा सक्खं, जस्स वऽत्थि पलायणं । जो जान मरिस्सामि, सो हु कंखे सुए सिया ।।
५) समयाए समणो होइ, बंभचेरेण बंभणो । नाणेण य मुणी होइ, तवेण होइ तावसो ।
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ब) : एक-दो वाक्यों में वस्तुनिष्ठ जवाब लिखिए ।
('उत्तराध्ययन-सार' किताब के प्रस्तावना पर आधारित प्रश्न)
१) ‘उत्तराध्ययन' ग्रन्थ कौनसी भाषा में है ?
२) उत्तराध्ययन के बारे में कौनसी मान्यता प्रचलित है ?
३) उत्तराध्ययन को 'मूलसूत्र' क्यों कहा है ?
४) उत्तराध्ययन में कितने अध्ययन हैं ?
५) उत्तराध्ययन पर संस्कृत टीका किसने लिखी ?
६) उत्तराध्ययन पर प्राकृत टीका किसने लिखी ?
७) श्वेताम्बर परम्परा में 'उत्तराध्ययन' कब पढा जाता है ? ८ ) उत्तराध्ययन की तुलना कौनसे बौद्ध और हिंदु ग्रन्थों से की जाती है ?
'उत्तराध्ययन-सार' किताब में अंतर्भूत अध्ययनों पर आधारित प्रश्न
१) मंगलाचरण में किनको भावपूर्वक प्रणाम किया है ? (गा. १)
२) 'चतुरंगीय' अध्ययन में कौनसे चार परम दुर्लभ अंगों का निर्देश है ? (गा. २)
३) अज्ञानी जीव की तुलना 'बकरे' से क्यों की है ? (पृ.२४, टिप्पण)
४) 'मूल धन' किसे कहा है ? मूल धन का नाश करनेवाले जीवों की क्या गति होती है ? (गा. १९) ५) 'कापिलीय' अध्ययन का उपदेश किसने दिया है ? किन्हें दिया है ? (पृ.२८)
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