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संपादकीय
जैनॉलॉजी परिचय की दूसरी किताब प्रकाशित करने में हमें बहुत ही खुशी महसूस हो रही है । २००९-२०१० की वार्षिक परीक्षा में लगभग १५० विद्यार्थियों ने जैनॉलॉजी परिचय (१) के पाठ्यक्रम पर आधारित परीक्षा उत्तर्ण की । परीक्षा उत्तीर्ण करनेवालों में लगभग ५०% विद्यार्थी कुमारवयीन थे । बाकी विद्यार्थियों में नई बहुएँ तथा युवतयाँ ज्यादा मात्रा में थी।
जैनॉलॉजी परिचय पाठ्यक्रम का सुयश इस बात में निहित है कि हमने उसमें कालानुरूप बदल किये हैं । निबंधवजा प्रश्नों की संख्या कम की है । वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की संख्या बढायी है । प्राकृत भाषा की ओर थान आकृष्ट किया है । व्याकरणपाठ के द्वारा भाषा में रुचि बढाने का प्रयास किया है । शिक्षक और विद्यार्थियों के लिए बहमूल्य सूचनाएँ दी है।
इस प्रकल्प के लिए श्रीमान् अभयजी फिरोदिया ने जो हार्दिक सहयोग दिया है, उसके लिए हम उनके शतश: आभारी है।
आशा रखते हैं कि यह परियोजना भी अन्य परियोजनाओं की तरह कामयाबी की मंजिल हासिल करें !!!
डॉ.सौ.नलिनी जोशी मानद-निदेशक, सन्मति-तीर्थ
जून २०१०