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शिक्षक और विद्यार्थियों के लिए सूचनाएँ
* 'जैनॉलॉजी परिचय (२)' का पाठ्यक्रम जून २०१० से जारी हो रहा है । * 'जैनॉलॉजी परिचय (२)' इस पाठ्यक्रम में मुख्यत: 'जिणवयणाई' यह सन्मति-तीर्थ प्रकाशन की किताब अभ्यास के लिए रखी है । किताब की प्रस्तावना शिक्षक और विद्यार्थी ध्यानपूर्वक पढें । 'जिणवयणाई' किताब के 'धम्म' से 'अहिंसा' तक के सात पाठ परीक्षा के लिए रखे हैं । किताब में प्राकृत गाथा एवं अर्थ संक्षेप में दिये हैं । स्मी गाथाओं का भावार्थ और स्पष्टीकरणात्मक टिप्पण इस किताब में दिये हैं । गाथा अच्छी तरह समझने के लिए ये टिप्पण उपयुक्त होंगे । हर एक पाठ के अंत में प्रश्नसंच दिया है । शिक्षिका सभी प्रश्नों की क्लास में चर्चा करें । विद्यार्थियों से अपेक्षा है कि वे प्रश्नसंचों में दिये हुए सभी प्रश्नों के जवाब नोटबुक में लिखे । 'जिणवयणाई' किताब अंतर्भूत किये हुए प्रश्नमालिका (प्रश्नसंच) पर विद्यार्थी कृपया ध्यान न दें । * किताब के अंत में महत्त्वपूर्ण शब्दों की सूचि दी हैं । उसमें शब्दों के अंग्रेजी अर्थ भी लिखे हैं । परीक्षा मेंअंग्रेजी अर्थ नहीं पूछे जाएँगें । इस शब्दसूचि के आधार से वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएँगें । जैसे कि - नवतत्त्वों केनाम लिखिए, षड्द्रव्यों के नाम लिखिए, आकाश, काल, जीव और संसारी जीवों के दो-दो भेद लिखिए, पाँच एकेंद्रियों के नाम लिखिए इत्यादि । * पाठ्यक्रम की भाषा सामान्यत: 'हिंदी' ही होगी । प्रश्नपत्रिका भी 'हिंदी' में होगी । * भक्तामर के १ से २० तक के श्लोक प्रार्थना के तौरपर शिक्षक हर क्लास में याद करवाएँ । भक्तामर की लेखीया मौखिक परीक्षा नहीं होगी। * व्याकरणपाठ के अंतर्गत दिये हए 'देव' और 'माला' नामों के विभक्तिप्रत्यय तथा वर्तमानकाल, भूतकाल और भविष्यकाल के प्रत्यय शिक्षिका हर क्लास में विद्यार्थियों से नियमित रूप से पढवाएँ । * लेखी परीक्षा ४० गुणों की होगी । केवल वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएँगे ।
प्रश्नों का स्वरूप निम्न प्रकार का होगा - १) पाँच-छह वाक्यों में जवाब लिखिए । (सिर्फ १) २) तीन-चार वाक्यों में जवाब लिखिए । ३) एक-दो वाक्यों में जवाब लिखिए । ४) सिर्फ नाम लिखिए। ५) उचित जोड लगाइए । ६) सही या गलत बताइए । ७) उचित पर्याय चुनिए । ८) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए ।
* शिक्षक १५ जून से पाठ्यक्रम का आरंभ करें और फरवरी के अंत तक विद्यार्थियों को पढाएँ । * शिक्षक और विद्यार्थी दोनों को पाठ्यक्रम की शुभकामनाएँ !
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