________________
गिरनार की महिमा न्यारी १. गिरनार गिरिवर भी शत्रुजयगिरि की तरह प्रायः शाश्वत है। पाँचवें आरे के अंत में जब शत्रुजय की ऊँचाई घटकर सात
हाथ होगी तब गिरनार की ऊँचाई सौ धनुष रहेगी। २. रैवतगिरि (गिरनार) शत्रुजयगिरि का पाँचवाँ शिखर होने के कारण वह पाँचवाँ ज्ञान अर्थात् केवलज्ञान दिलानेवाला है। ३. यह मनोहर गिरनार समवसरण की शोभा धारण करता है। क्योंकि वहाँ विस्तार से मध्य में चैत्यवृक्ष के जैसा मुख्यशिखर
है और गढ़ जैसे छोटे छोटे पर्वत बसे हुए हैं। मानो चारों दिशा में झरनें बह रहे हों, ऐसे चार द्वार, चार पर्वत जैसे शोभते
४. गिरनार पर अनंत तीर्थकर आये हुए हैं और यहाँ पर महासिद्धि अर्थात् मोक्षपद पाया है। दसरे अनंत तीर्थकरो के दीक्षा
केवलज्ञान और मोक्षकल्याणक यहा हो चुके हैं। वैसे ही अनेक मुनि भी मोक्षपद प्राप्त कर चुके है। और भविष्य में प्राप्त
करेंगे। ५. गत चौवीशी में हुए १) श्री नमीश्वर, २) श्री अनिल, ३) श्री यशोधर, ४) श्री कृतार्थ, ५) श्री जिनेश्वरः, ६) श्री शुद्धमति,
७) श्री शिवंकर और ८) श्री स्पंदन नामक आठ तीर्थंकरों के दीक्षा, केवलज्ञान और मोक्ष कल्याणक और अन्य दो तीर्थंकर भगवंतों का मात्र मोक्ष कल्याणक गिरनार गिरिवर पर हुए थे। वर्तमान-चौवीशी के बाईसवें तीर्थंकर बालब्रह्मचारी श्री नेमिनाथ भगवान के दीक्षा-केवलज्ञान और मोक्षकल्याणक गिरनार
पर हुए है। उसमें दीक्षा और केवलज्ञान कल्याणक सहसावन में तथा मोक्षकल्याणक पाँचवीं टुंक पर हुआ है। ७. आगामी चौबीशी में होनेवाले १) श्री पद्मनाभ, २) श्री सुरदेव, ३) श्रीसुपार्श्व, ४) श्री स्वयंप्रभु, ५) श्री सर्वानुभूति, ६)
श्री देवश्रुत, ७) श्री उदय, ८) श्री पेढाल, ९) श्री पोट्टील, १०) श्री सत्कीर्ति, ११) श्री सुव्रत, १२) श्री अमम, १३) श्री निष्कषाय, १४) श्री निष्पुलाक, १५) श्री निर्मम, १६) श्री चित्रगुप्त, १७) श्री समाधि, १८) श्री संवर, १९) श्री यशोधर, २०) श्री विजय, २१) श्री मल्लिजिन, २२) श्री देव इन बाईस तीर्थंकर परमात्मा का मात्र मोक्ष कल्याणक और २३) श्री अनंतवीर्य, २४) श्री भद्रकृत इन दो तीर्थंकर परमात्मा के दीक्षा-केवल ज्ञान और मोक्ष कल्याणक भविष्य में गिरनार महातीर्थ पर होंगे।