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________________ सज्जनो ! सुनलो मेरी पुकार 6 महाभाग्यवान् ! जगप्रसिद्ध गिरनार महातीर्थ की इस अचिन्त्य महिमा को जानकर चलो ! आज ही संकल्प करे कि वर्षों से चतुर्विध संघ में अज्ञात रहे हुए गिरनार के माहात्म्य की बातों को सरोवर के जल के समान एक ही स्थान में संग्रह नहीं करके, नदी के जल की तरह बहती रखने से उसकी महिमा घट-घट और घर घर में फैलने लगेगी । जग में सर्वश्रेष्ठ तीर्थ रूप स्थान प्राप्त किए हुए इस तीर्थ के पुन: उदय के लिए आज से ही सब जीवों को इस तीर्थयात्रा और तीर्थ भक्ति में जोड़ने के लिए प्रबल पुरुषार्थ करें ! जो अपने को निकट मोक्ष गामी बनाने में सहायक होगा। अंत में ! हर वर्ष में कम से कम एक बार तो गिरनार महातीर्थ की यात्रा करने का संकल्प जरूर करें। चलो ! झंखनाओं के झरने में म्हाले । ● मैं गौरवशाली गढगिरनार की यात्रा कब करूँगा? ● मैं वर्तमान में विश्व की प्राचिनतम श्री नेमिनाथ परमात्मा की प्रतिमा के दर्शन कब करूँगा? . मैं अनंत तीर्थंकरों की दीक्षा अवसर के वैराग्य से सुवासित बनी हुई भूमि की महक कब मानुंगा ? मैं अनंत तीर्थंकरों के सिद्धपद की भूमि के आलंबन से शाश्वत पद की साधना कब करूँगा ? ● में सिद्धक्षेत्र ऐसे गिरनार की ९९ यात्रा तथा चातुर्मासादि आराधना कब करूंगा? ● मैं गिरनार गिरिवर का गिरिपूजन कब करूंगा? . मैं चउविहार छ? करके गिरनार की सात यात्रा कब करूँगा ? ● में इस अनंत तीर्थंकरों की मोक्षकल्याणक भूमि से मोक्ष में कब जाऊँगा? . मैं इस महातीर्थ की यात्रा द्वारा अनादि भवों के पापकर्मों का क्षय कब करूँगा ? ११४
SR No.009951
Book TitleChalo Girnar Chale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirth Vikas Samiti Junagadh
Publication Year
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size450 KB
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