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________________ पादुका है। अनेक मुमुक्षु आत्मायें दीक्षा के पूर्व इस पावन भूमि की स्पर्शना करने अवश्य आते हैं । इस दीक्षा कल्याणक भूमि के सामने वाल्मिकी गुफा तथा बाये हाथ से नीचे उतरते ही भरतवन, गिरनारी गुफा, हनुमानधारादि हिन्दु स्थान आते हैं। वहाँ से नीचे उतरते ही परिक्रमा के रस्ते में आनेवाला 'झीणाबावा की मढी' के स्थान पर पहुँचा जा सकता है। इस दीक्षा कल्याणक की देहरी से दायी ओर वापिस ७० सीढियाँ ऊपर चढते ही दायी ओर तलहटी की तरफ जाने का मार्ग आता है । जिस मार्ग पर लगभग १८०० सीढ़ियाँ उतरते ही रायण के वृक्ष के नीचे एक प्याऊ आती है जहाँ उबले हुए पानी की व्यवस्था भी उपलब्ध है। वहाँ से १२०० सीढियाँ उतरकर लगभग आधा कीलोमीटर चलकर जाने पर गिरनार तलहटी आती है। सहस्रावन में श्री नेमिप्रभु की दीक्षा केवलज्ञान कल्याणक के साथ अन्य भी ऐतिहासिक प्रसंग हुए हैं। सहसावन में करोडों देवताओं के द्वारा श्री नेमिनाथ भगवान का प्रथम तथा अंतिम समवसरण रचाया गया था । * सहसावन में साध्वी राजीमतिजी तथा श्री रहनेमिजी ने मोक्ष पद प्राप्त किया। सहसावन में श्री कृष्णवासुदेव के द्वारा सुवर्ण और रत्नमय प्रतिमाजी युक्त तीन जिनालयों का निर्माण करवाया गया था। सहसावन में सोने के चैत्य में मनोहर चौवीशी का निर्माण करवाया गया था । सहसावन के पास लक्षाराम में एक गुफा में तीनों काल की चौवीशी के बहोत्तेर तीर्थंकर भगवान की प्रतिमायें बिराजमान की गयी हैं। * * * ** १०६
SR No.009951
Book TitleChalo Girnar Chale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirth Vikas Samiti Junagadh
Publication Year
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size450 KB
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