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________________ रहनेमि के जिनालय से आगे साचाकाका की जगह के लगभग ५३५ सीढियाँ चढने पर अंबाजी का मंदिर आता है। * अंबाजी की ट्रंक : इस अंबाजी की टूंक में अंबिका का मंदिर आता है। दामोदर कुंड के पास दामोदर का मंदिर, गिरनार पर श्री नेमिनाथ भगवान तथा अंबाजी का मंदिर संप्रति महाराजा ने बंधवाया है ऐसा कहा जाता है। शिल्पस्थापत्य के आधार पर बारहवीं तेरहवी सदी की रचनावाला यह मंदिर वस्तुपाल - तेजपाल ने बंधवाया है, ऐसा भी उल्लेख है। जिसमें श्री नेमिनाथ भगवान की अधिष्ठायिका अंबिका देवी की प्रतिमा बिराजमान की गयी थी। कल्पसूत्र की एक सुवर्णाक्षरी प्रत के अंत में ग्रंथ प्रशस्ति में निम्नोक्त उल्लेख है। श्री अम्बिका महादेव्या, उज्जयन्ताचलोपरि । प्रासादः कारितः प्रौढः सामलेन सुभावतः ॥ १०॥ वि.सं. १५२४ की इस प्रशस्ति पर से स्पष्ट समझा जा सकता है कि सामल नामक शाहुकार ने सद्भावनापूर्वक श्री गिरनार पर्वत के ऊपर श्री अंबिका महादेवी का जीर्ण हुआ बड़ा चैत्य नया बंधवाया था । काळ क्रम से आज हिंदुओ द्वारा वैदिकधर्म की पद्धति से उनका दर्शनपूजन आदि होता है और उनके संन्यासीओं द्वारा ही इस मंदिर की देखरेख होती है । इस मंदिर के पीछे श्री नेमिनाथ भगवान की पादुकायें स्थापित की गई हैं। लोग इन्हें शांब की पादुका हैं ऐसा कहते हैं हैं। वस्तुपाल के द्वारा उस समय इस टूंक के ऊपर श्री नेमिनाथ भगवान आदि की प्रतिमाओं को स्थापित करने का उल्लेख मिलता है। वस्तुपाल के प्रशस्ति लेख एवं समकालीन, समीपकालीन और उत्तरकालीन जैन लेखों के अनुसार पीछे के तीन शिखर गोरखनाथ, ओघडनाथ और गुरुदत्तात्रेय के असली नाम "अवलोकन", "शांब", और "प्रद्युम्न" थे और जिनसेनकृत 'हरिवंशपुराण' और 'स्कन्दपुराण' में भी अम्बाजी के बाद शांब और प्रद्युम्न का उल्लेख मिलता है। अंबाजी सहित इन तीनों शिखरों पर भी मंत्रीश्वर वस्तुपाल ने नेमिनाथ भगवानकी देवकुलिकायें करवाई थी, ऐसा वि.सं. १२८८ की छत्र शिला प्रशास्तियों में कहा है। १००
SR No.009951
Book TitleChalo Girnar Chale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirth Vikas Samiti Junagadh
Publication Year
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size450 KB
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