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FRU]] श्रीषका ।
काली मैमिकामा राष्ट्रीसास देवी गाने संस्कारी तू मीमुखीशिसमें मुखीकर, मिनाकस्पानिय प्रियहाबलम्मनसे महोती भीम मि Pe I fesIFE BF कति मनिश्चयुनम लबादाम शाह मान हो जाता है कि मेरा शिल्पाला जमाना नाता परमालका कर्जा विसरभावक्ता भोजन है। अपनी निशा परिणति में वहा परिणामाता काय हा अपने झुङ भावका ही कर्तायोक्तान जितने रागादिक्षाव हैं सब मोहनीया कमकी अमधिसे होते हैं। जिलामो साई कसकी इमानिस सहित पठमानीतलामा जिसी हजाअक्षा हामी अपने स्त्र। माकी होती है जैसी माही जसबमें अन्य मामाओंकी होती है। -सदनिश्चयानुयोजक पदार्थोमणा माल इहिने झल्कने माना है तब मजालाकामा कुल्लित नाहीं होगा तथा इसके मनाले रमा पक्की
कालिम्प दूर हो जाती है भान असके, न कोई शबा दिखता है न मित्र, दिखता हैजब ऐसी स्थिति जानकी हो जाती हैजून ही आश्चार्थ शालाप्त होती और न ही अपनेजानवरूप में माना होती है तथा तत्व ही बहसभामण्यमका पाश्चमण है,गासाहोपयोगका जसनेवाला है । आगमा ज्ञान इतना आवश्यक है कि इसके अतापसे आयुके सिवाना सव मोहनीय आदि सात कर्मों की स्थिति घट ज्ञाती
है, और परिणामों में कषायोंकीमा अनुभाग शक्ति घटने से विशुद्धता · बढ़ती जाती है। जितनी विशुद्धता-बढ़ती है उतनी और कक्षायोंकी
अनुभाग़ शक्ति का हो जाती है। इस तरह आगम: सननसे ही त्यही जीव देशनालंब्धिसें पायोयलब्धिमाकरण सम्यग्दृष्टी हो जाता है। सम्यग्दष्टीकोअमात्मानुभव होत्याही है ।।