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३९२] भीप्रवचनसारटोका।
भाषाकारका कुछ परिचय । इन्द्रप्रस्थके निकट है, गुड़गांवा शुभ देश । फर्रुखनगर सुहावना, धर्मी बसत हमेश ॥ १ ॥ अग्रवाल क्षत्री सुकुल, वैश्य कर्मवश नान । गोयल गोत्र महानमें, रायमल गुणखान ॥ २ ॥ अवध देश लक्ष्मणपुरी, धन कण कंचन पुर । चाणिज हित आए जहां, रायमल्ल चल दूर ॥ ३ ॥ चसे तहां उन्नति करी, धन गृह कीर्ति अपार । । तिन सुत मंगलसेनजी, विद्यागुणभंडार ॥ ४ ॥ जैनतत्त्वमर्मी बड़े, अध्यातम रस सार । 'पीवत लख अध्यात्ममय, समयसार सुखकार ॥ ५ ॥ तिनसुत मक्खनलालनी, गृहकारनमें लीन । भार्या परम पतिव्रता, गृहरक्षण परबीन ॥ ६ ॥ चार पुत्र तिनके भए, संतलाल वर जान । वर्तमान व्यापाररत, सुत दारा युत मान ॥ ७ ॥ तृतीय पुत्र लेखक यही, संज्ञा सीतल धार । मात नारायण देविको, अतिप्रिय सेवक सार ॥ ८ ॥ 'विक्रम उन्निस पैतिसा, जन्म सु कार्तिक मास । । मात पिताकी कृपासे, धर्मप्रेम कुछ भास ॥९॥ किंचित् विद्या पायके, मानो जिनमत सार । रुचि बाढ़ी अध्यात्मकी, सुख शांति भंडार ॥ १० ॥ वत्तिस वय अनुमानमें, गृह तजि श्रावक होय ।