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________________ संघ चलाया था। उनकी स्त्री श्रीमती श्री मुन्नीबाईसे शुभ मिती आश्विन शुल्ला २ विक्रम संवत १९४८ ईस्वीको लघु पुत्र लाला चिरंजीलालजीका शुभ जन्म हुआ। चिरंजीलालनीके इस समय छोटी स्त्रीसे उत्पन्न १ एक पुत्री और ५ पुत्ररत्न विद्यमान हैं । ऊपर वर्णन किये गये वाजारवाले मंदिरकी बिम्बप्रतिष्ठा संवत १९६५ में हुई थी। उस समय लाला बद्रीदासनीकी तरफसे प्रतिष्ठामे आये हुए अनुमान वीसहनार भाइयोका ज्योनारादिकसे पाच दिनतक बराबर जैनधर्मके प्रभावनार्थ सत्कार किया गया था। आपने बानारके मंदिरमे सुनहरी तथा चित्रकारीका काम करानेके लिये अच्छी सहायता की थी। वर्तमानमे चलती हुई "जैन हाईस्कूल " और सस्कृत धर्मविभाग नामकी संस्थाओंमे भी आप मासिकरूपमे अच्छी सहायता टेरहे है व आपने स्कूलमें एक कमरा भी अपनी तरफसे वनवा दिया है। और यथावसर धार्मिक तथा पंचायती कामोमे द्रव्यादिककी सहायता देनेमें भी कमी नहीं करते है। आप पानीपतके खिरनीसरायके मुहल्लेमें रहते हैं। वह शहरसे अनुमान एक मील दूर है ! ____ उस मुहल्लेमे जैनियोंके दश या बारह घर हैं। वे शहरमे दर्शन करनेसे वंचित रहते थे। इसलिए गत साल चौमासेकी स्थितिमे श्रीमान् ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजीने प्रेरणा करके वहांपर चैत्यालय बनानेकी आवश्यकता दिखाई थी। उस समय आपने अपना असीम धर्मप्रेम प्रदर्शित कर चैत्यालय बननेके लिये २५९०) रुपयेकी रकम चिट्ठमें लिख दी थी। अब वह चैत्यालय बन रहा है। .
SR No.009946
Book TitlePravachan Sara Tika athwa Part 02 Gneytattvadipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages420
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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