________________
३७२ ]
श्रीमसार भापाटीका ।
अग्रवाल शुभ वंश, मुख्य सेठ दयाचंद | वृद्धिचन्द वैजनाथजी, रामचंद फूलचंद ॥ २१ ॥ खडेलवाल के वश में, मुख्य सेठ रामलाल |
रामचंद पर चैनसुख, मल गंभीर दयाल || २३ ||
जैसवाल परवार भी, यदि वसत समुदाय । औषधि दाता गुण उदधि, मुन्नालाल सहाय ॥ २४ ॥ आनन्द चार लुप्रेमसे, चर्चा घरम चढ़ाव |
1
चार मास अनुमान तह रहे सुसंगति पाय ॥ २६ ॥ arret विशाल यह आरंभ्यो त ग्रन्थ | निज आता अभ्यासको खोला अनुपम पंथ ॥ ६६ ॥ समय पाय पूरण कियो, एक अध्याय महान । फागुन खुदि चौदश दिना, वार शुक्र अमलान || २७ ॥ रांची जिला विशाल में, है तमाड़ एक प्रांत । प्राचीन श्रावक बनें, धर्म बोध विन शांत ॥ २८ ॥ धर्म सुपथकी प्रेरणा, कारण आयो धाय । जादोcिe एक ग्राममें, ठहरो मन उनगान ॥ २९ ॥ श्री जिन प्रतिमा शाम वह, केशो गृह रुचि पाय | ग्रंथ सुपूरण दहं कियो, परमानंद बढ़ाय ॥ ३० ॥ मरवाना ठाकुर यहां राम सुजीवन सिंह । गुणधारी सज्जननिश, भक्त वृद्ध मनिर्मित ॥ ११ ॥ समता शांति सु आत्म सुखको निमित्त यह ठग ताते नित धर्मीनिसे, पूर्ण रहे यह धाम ॥ ३२ ॥