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श्रीमाणिक्यनन्दिस्वामिविरचिते परीक्षामुखे
प्रत्यक्षबाधित का उदाहरणবঙ্গ জামিলী আজ, জালী s লি ব্রাশ ज्जलवत् ।। १६ ॥
अर्थ-अग्नि ठण्डी होती है, क्योंकि वह द्रव्य है। जो द्रव्य होता हैं बह ठण्डा होता है जैसे जला। यहाँ 'अग्नि ठण्डी होती है' यह पक्ष .स्पार्शनप्रत्यक्ष से बाधित है, क्योंकि छूने से अग्नि गर्म मालूम होती
___ संस्कृतार्थ-अनुष्णोऽग्निः द्रव्यत्वात् जलवत् । अत्र 'अग्निरनुष्णः प्रतीयते । अतोऽयं पक्षः स्पार्शनेन प्रत्यक्षेण बाधितो विचते ॥१६॥
अनुमानबाधितपक्षाभास का उदाहरणअपरिणामी शब्दः कलकत्वात् ॥ १७॥
अर्थ-शब्द अपरिणामी (नित्य ) होता है क्योंकि वह किया जाता है, जो किया जाता है वह अपरिणामी होता है, जैसे घट । यह अनुमानबाधित पक्षाभास का उदाहरण है। क्योंकि यहां पक्ष में 'शब्द परिणामी ( अनित्य ) होता है, क्योंकि वह किया जाता है, जो किया जाता है; वह परिणामी होता है, जैसे घट। इस अनुमान से बाधा आती है ।। १७ ॥
संस्कृतार्थ-अपरिणामी शब्दः कृतकत्वात् । यो यः कृतको विद्यते स सः अपरिणामी, यथा घटः । अनुमानबाधितपक्षाभासोदाहरणमिदम् । यतोऽत्र पक्षे 'शब्दः परिणामी, कृतकत्वात् , यो यः कृतकः; स सः परिणामी, यथा घटः' इत्यनुमानेन बाधा आयाति ॥ १७॥
आगमबाधितपक्षाभास का उदाहरणप्रेत्यासुखलो धर्मः, पुरुषाधितत्वावधर्मवत् ॥ १६ ॥