________________
श्रावश्यक निबन्ध माला.
१२७
लक्षण सींग | सींग किसी भी मनुष्य में नहीं पाया जाता, अतः वह असम्भव लक्षणाभास है ।
यहाँ लक्ष्य के एकदेश में रहने के कारण 'शालेयत्व' प्रध्याप्त है, फिर भी उसमें असाधारण धर्मत्व रहता है 'शावलेयत्व' गाय के अतिरिक्त अन्यत्र नहीं रहता - गाय में ही पाया जाता है । परन्तु वह लक्ष्यभूत समस्त गायों का व्यावर्तक-- अश्वादि से जुदा करने वाला नहीं है- कुछ ही गायों को व्यावृत्त कराता है। इसलिये अलक्ष्यभूत अव्याप्त लक्षणाभास में असाधारण धर्म के रहने के कारण अतिव्याप्त भी है ।
इस तरह असाधारण धर्म को लक्षण कहने में असम्भव, श्रव्याप्ति श्रौर श्रतिव्याप्ति ये तीनों ही दोष आते हैं । अतः 'मिली हुई अनेक वस्तुओं में से किसी एक वस्तु के अलग कराने वाले हेतु को लक्षण कहते हैं यही लक्षण ठीक है ।