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लब्धप्रणाश
तो बाद को जड़ पकड़ लेने पर वह तुझे मार देगा । कहा भी है
"गायों में सम्पत्ति की संभावना करनी चाहिए, ब्राह्मणों में तप की संभावना करनी चाहिए और स्त्रियों में चपलता की संभावना करनी चाहिए तथा जाति से भय की संभावना करनी चाहिए । और भी "वहां अच्छे-अच्छे खाते हैं, नगर की स्त्रियों का आचार-विचार शिथिल है, पर विदेश में एक ही दोष है कि अपने जाति वाले वहां विरुद्ध होते हैं।" मगर ने कहा, “यह कैसे?" बन्दर कहने लगा--
___ कुत्ते की कथा "किसी नगर में चित्रांग नाम का एक कुत्ता रहता था। वहां बहुत दिनों तक अकाल पड़ा । अन्न के अभाव से कुत्तों की जाति धीरे-धीरे मरने लगी। इस पर चित्रांग भूखा-प्यासा भय से परदेश चला गया। वहां किसी नगर के एक गृहस्थ की घरनी की लापरवाही से वह प्रतिदिन घर में घुसकर तरह-तरह के भोजन करके तृप्त हो जाता था । पर घर के बाहर निकलने पर दूसरे कुत्ते उसे चारों ओर से घेरकर दांतों से उसके शरीर पर चारों ओर घाव कर देते थे। इस पर उसने सोचा, “अपना देश ही अच्छा है, जहां अकाल पड़ने पर भी सुख से तो रह सकते हैं; वहां कोई लड़ाई तो नहीं करता, इसलिए मैं अपने नगर को लौट जाऊंगा।" यह सोचकर वह अपने नगर को चल पड़ा। परदेश से उसे लौटा जानकर उसके सब रिश्तेदारों ने उससे पूछा, "अरे चित्रांग! हमसे परदेश की बातें कह। वह देश कैसा है ? लोगों का व्यवहार कैसा है ? भोजन कैसा मिलता है? तेरे साथ लोगों का व्यवहार कैसा था ?" वह बोला, “परदेश का हाल-चाल मैं क्या कहूं,
"वहां अच्छे-अच्छे खाने हैं, नगर की स्त्रियों का आचार-विचार शिथिल है, पर विदेश में एक ही दोष है कि अपनी जाति वाले वहां विरुद्ध होते हैं।" मगर भी यह सुनकर मरने-मारने की ठानकर और बन्दर की