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पञ्चतन्त्र
जाता है।"
अतिथि ने कहा , “क्या कोई खनता है ?” उसने उत्तर दिया, "हां, यह लोहे का खनता है।" अतिथि ने कहा , “तड़के तू मेरे साथ उठना , जिससे मनुष्यों से बिना रौंदी भूमि पर चूहे के पैर के निशानों के पीछे हम दोनों जा सकें।" मैंने भी उनकी बात सुनकर सोचा , “अब हमारा नाश होना है, क्योंकि इनकी बातें विचारपूर्ण मालूम पड़ती हैं । ठीक जिस तरह उन्होंने हमारे खजाने का पत्ता लगा लिया उसी तरह किले का भी जान जायंगे। उनके अभिप्राय ही से यह पता लगता है। कहा है कि
"आदमी को एक बार ही देखकर बुद्धिमान उनकी ताकत जान जाते हैं। चतुर आदमी हाथ के वजन से ही किसी चीज की तौल
भांप लेते हैं। “चित्त की इच्छा ही मनुष्यों के पूर्व-जन्म के शुभ और अशुभ कार्यों से नियत हुए भविष्य की पहले से ही सूचना दे देती हैं। जिसे अभी चोटी नहीं उगी है, ऐसा मोर का बच्चा तालाब से जब लौटता
है तब वह अपनी चाल से मोर मालूम होता है ।। तब मैं डरकर अपने परिवार के साथ किले का रास्ता छोडकर दूसरे रास्ते से जाने लगा। परिजनों सहित जैसे ही मैं आगे बढ़ा, मैंने एक मोटा-ताजा बिल्ला आते हुए देखा । चूहों का झुंड देखकर बह उनके बीच दूट पड़ा । मुझे बुरे रास्ते से जाते देखकर वे चूहे मेरी निन्दा करते हुए और मरते हुए तथा बचे-खुचे अपने रक्त से पृथ्वी को भिगाते हुए, उस दुर्ग में घुस गए। अथवा ठीक ही कहा है--
"बंधन काटकर, शिकारी द्वारा रचे हुए फंदे से बचकर, जाल को बलपूर्वक तोड़कर , आग की लपट से घिरी सीमाओं वाले वन से दूर जाकर तथा शिकारियों के बाण की मार के भीतर आते हुए भी वेगपूर्वक दौड़ता हुआ मृग कुँए में गिर
पड़ा। जहां भाग्य ही टेढ़ा हो वहां पराक्रम क्या कर सकता है ? इसके बाद मैं अकेला दूसरी जगह चला गया। बाकी चूहे मूर्खता से