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२२. निक्षेप
६. द्रव्य निक्षेप
अभिमुख हो । जैसे इन्द्र प्रतिमा के लिए लाये गये काष्ठ को भी इन्द्र कहना ।
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३. घ. पु. १ पृ.२०१२३ "आगे होने वाली पर्याय को ग्रहण करने के सम्मुख हुए द्रव्य को ( उस पर्याय की अपेक्षा) द्रव्य निक्षेप कहते है । अथवा वर्तमान पर्याय की विवक्षा रहित द्रव्य को द्रव्य निक्षेप कहते है । वह आगम व नोआगम के भेद से दो प्रकार का है ।"
(स.सा. । १३ । आ. कलश-कीटीका) (त.सा | १|१२|११ ) ( प्र सात. प्र. परि०यन. १२) (वृ . न च । २७४ )
२. आगम द्रव्य निक्षेप
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१ घ. |पु १ | २०|२७ “ आगम, सिद्धांत और प्रवचन ये शब्द एकार्थ वाची है । " *मंगल प्राभृत अर्थात मंगल विषयक शास्त्र को जानने वाला किन्तु वर्तमान मे उस के उपयोग से रहित जीव को (अर्थात चेतन द्रव्य को ) आगम द्रव्य मगल कहते है ।"
( इस के तीन भेद किये जा सकते है भूत वर्तमान व भावि क्योकि वह जीव भूतकाल में उपयोग वाला हो चुका है, अथवा वर्तमान में कुछ उपयोग वाला और कुछ अनुपयोग वाला है तथा भविष्यत काल मे उपयोग वाला हो जायेगा ।
( स स | १|५|४८ ) ( रा०व 1१।५।६।२६ ) ( रल वा । पू २ २६७ ) ( गोक मू ।५४।५३ ) (वृन च । २७४)
३. नोश्रग़म द्रव्य निक्षेप सामान्य -
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१ घ. पू १।१.२०२७ " आगम से भिन्न पदार्थ को नोआगम कहते है । • नोआगम द्रव्य मंगल तीन प्रकार का है -- ज्ञायक शरीर, भव्य व तद्वयतिरिक्त ।"