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२०. विशुद्ध अध्यात्म नय
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८. शका समाधान
सर्व व्यापी अचेतन । इसलिये दोनो के विषय मे अन्तर है।
४. शका -सद्भूत व्यवहार नय व असद्भूत व्यवहार नय मे क्या
अन्तर है ?
उत्तर - सद्भुत व्यवहार की प्रवृति तो त्रिकाली भाव सामान्य
पर से अर्थात गुणों पर से छहो द्रव्यों की विशेषता का परिचय देने मे होती है, और असभुद्त त्वहार नय की प्रवृति जीव व पुद्गल इन दो ही द्रव्यों की वैभाविक शक्ति का परिचय देने में होती है । या यो कहिये कि सभुक्त व्यवहार नय द्रव्याथिक है और असभुदत व्यवहार नय पर्यायाथिक है, क्योकि वह त्रिकाली भाव को ग्रहण करता है और यह क्षणिक भाव को। वह ज्ञान सामान्य पर से जीव के ज्ञाता दृष्टा पने के स्वभाव का परिचय देता है और यह कर्ता क्रिया पर से उस के विभाव का परिचय देता है। वह ग्राह्य अग का परिचय देता है और यह त्याज्य अग का।