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कथ्यते
१. द्र स. टी. । । २१ " अश ुद्धनिश्चयस्यार्थ. कर्मोंपाधि समुत्पन्नत्वाद शुद्ध तत्काले तप्ताय. पिण्ड वत्तन्मयत्वाच्च निश्चय, इत्युभय मेलापकेनाशुद्ध निश्चयो भण्यते ।"
निश्चय नय
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अर्थ - अशुद्ध निश्चय नय का अर्थ कहते है - कर्मोपाधि से उत्पन्न होने के कारण जीव के साथ रागादि भाव अश ुद्ध है और उस समय तप्त लोह पिण्डवत उस जीव के साथ तन्मय या अभेद होने के कारण निश्चय है | इस प्रकार दोनो के मिलान से रागादिक को जीव स्वरूप कहना अश ुद्ध निश्चय से ठीक है ।
२ अन ध । १ । १०३ | १०८ " 1
१० अशुद्ध निश्चय नय
का लक्षण
एवात्मेत्यस्ति निश्चय. । १०३ ।”
अश ुद्धश्च रागाद्या
अर्थ - रागादि ही आत्मा है या रागादि आत्मारूप है ऐसा कहना अशुद्ध निश्चय नय है |
३ प्र स । तावु । अशुद्धात्मा तु रागादिना निश्चयेना शुद्धोपादान कारण भवतीति ।"
अश ुद्ध
अर्थः- अश ुद्ध निश्चय नय से अशुद्ध ससारी आत्मा रागादि के द्वारा अश ुद्ध भावो का उपादान कारण होता है ।
४प्र सा । ता वु । परि. "अशुद्ध निश्चय नयेन सोपाधिस्फटिक - वत्समस्त रागादि विकल्पोपाधि सहितम् ।"
अर्थ --- अशुद्ध निश्चय नय से सोपाधि स्फटिकवत् समस्त रागादि विकल्पो सहित है । अर्थात जिस प्रकार हरे, पीले डाक के सयोग को प्राप्त स्फटिक उज्वल होती हुई