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१८. निश्चय नय
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८. एक देश शुद्ध निश्चय
नय का लक्षण लेना । विस्तार भय से एक देश अशुध्द निश्चय नय को पृथक ग्रहण न करके अश ध्द निश्चय मे ही गर्भित कर दिया गया ।
यहा सक्षेप मे एक देश शुध्द निश्चय नय का लक्षण इस प्रकार किया जा सकता है.--
१. एक देश शुध्दता से तन्मय द्रव्य सामान्य को पूर्ण शुध्द देखना एक देश शुद्ध निश्चय नय है।
अव इसी लक्षण की पुष्टि व अभ्यास के अर्थ कुछ आगम कथित उध्दरण देखिये । उदाहरण भी उन्हीं मे आ जायेगे।
१ वृ. द. स. । टी । ८ । २२ "अनन्तज्ञान सुरवादि शुद्ध भावानां
छद्मस्थावस्थाया भावना रूपेण विवक्षितैकदेश शुद्ध निश्चयेन कर्ता, मुक्तावस्थाया तु शुद्ध नये नेति ।" अर्थ:-एक देश शुद्ध निश्चय से छद्मस्थ अवस्था मे ही भावना रुप से अनन्त ज्ञान सुखादि शुद्ध भावो का कर्ता है और शुद्ध नय से मुक्तावस्था मे ।
२ वृ. द्र. स. । टी । ४८ । २०६ "विवक्षितैकदेश शुद्ध' निश्चयेन
कर्म जनिता (रागादया) भण्यन्ते ।”
अर्थ -विवक्षित एक देश शुद्ध निश्चय नय से रागादि
भाव कर्म जनित है जीव जनित नही ।
भावार्थ:-शुद्ध और अशुद्ध अशो से मिश्रित साधक की अवस्था मे से दि उसमे पडे हुए शुद्धाश को देखने के लिये जाये तो सिद्धो के शुद्ध भाव मे और इस शुद्ध भाव मे क्या अन्तर है ? खोटे सोने में पड़ा हुआ शुद्ध स्वर्ण का अश और शुद्ध सोने मे पडा