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अर्थ - (अभेद व अनुपचार के द्वारा वस्तु का जो निश्चय कराता है सो निश्चय नय है | )
१८. निश्चय नय
३ निश्चय नय सामान्य
का लक्षण
२. नय चक्र गद्य पृ. २५ " निश्चयोऽभेद विषयः ।"
( अ - निश्चय अभेद विषयक है ।)
३ नय चक्र गद्य ॥५३१ “निश्चयन्यस्तूपनयरहितोऽ भेदानुपचारैकलक्षणमर्थ निश्चिनोति ।"
( अर्थ - निश्चय नय तो उपनय रहित है क्योकि वह तो अनुपचार रूप एक अभेद लक्षण वाले अर्थ का निश्चय कराता है ।)
तप्तायं पिण्डवत्तन्मयत्वाच्च
४. वृ. द्र. स. । टी । २।२१ " तत्काले निश्चय ।
(अर्थ:- उस समय तप्त लोहपिण्डवत तन्मय रूप होने के कारण निश्चय है । अर्थात जिस प्रकार तप्त लोह पिण्ड अग्नि के साथ तन्मय हो जाता है उसी प्रकार अपने गुणव पर्यायो के साथ तन्मय हुआ द्रव्य निश्चय नय का विषय है | )
५. त. अनु. ।पू.।२६ “अभिन्नकर्तृ कर्मादि विषयो निश्चयो नय ।.. २९ ।
( अर्थ - अभिन्न कर्ता कर्मादि विषयक निश्चय नय है ।)
(अनघ 1१1१०२ १०८ )
६. प. ध. पू. ६१४ “लक्षणमेकस्य सतो यथा कथचिद्यथा द्विधा
करणम् । व्यवहारस्य तथा स्यात्तदितरथा निश्चयस्य
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पुनः । ६१४।”